हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड की 10वीं कक्षा के गिरते परीक्षा परिणाम ने छात्रों और शिक्षकों के साथ साथ बोर्ड तथा सरकार को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है।
इस संबंध में शिक्षाविद सत्यनारायण शर्मा ने बताया कि लगातार गिर रहे परीक्षा परिणाम के लिए स्कूलों में शिक्षकों की कमी होना, आवश्यकता अनुसार स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध होना, स्कूलों में पुस्तकें देरी से पहुंचना समेत अनेक कारण हैं।
इसके अतिरिक्त बच्चों के दिमाग पर स्पर्धा के चलते आवश्यकता से अधिक बोझ होता है। लेकिन न तो अभिभावक और न ही शिक्षक बच्चों पर ध्यान दे पाते हैं।
वहीं शिक्षाविद डॉ. डीपी कौशिक का कहना है कि सरकार की पॉलिसी अनुसार बच्चों का रुझान बेसिक शिक्षा से हटकर अन्य एक्टिविटी में रहा है। इन एक्टिविटी में बच्चों का समय भी लग रहा है। बोर्ड जो परीक्षा परिणाम तैयार करता है वह पूर्णतया शिक्षा पर आधारित होता है।
सरकार को चाहिए कि वह परीक्षा परिणाम तैयार करते समय सीसीई के नंबरों को भी काउंट करें। किसी बच्चे का प्रथम सेमेस्टर में कंपार्टमेंट आ जाता है तो उसका प्रभाव दूसरे सेमेस्टर पर पड़ना लाजिमी है।
शिक्षा तंत्र में बड़ी खामियां:
-स्कूलों में शिक्षकों की कमी
-शिक्षक ईमानदारी से नहीं पढ़ाते
-सरकार की पॉलिसी अनुसार बच्चों का समय बेसिक शिक्षा की जगह अन्य एक्टिविटी में ज्यादा लग रहा है
-स्कूलों में समय पर किताबें नहीं मिलतीं
ये हो सकता है:
-सीसीई के नंबर भी काउंट किए जाएं
-शिक्षक ईमानदारी से अपना कार्य करें
-अभिभावक बच्चों पर खुद ध्यान दें
-सरकारी स्कूलों में सुविधाएं बढ़ाई जाएं
-शिक्षकों की पेंडिंग भर्ती तुरंत की जाए
-पुस्तकें समय पर स्कूलों में पहुंचें ...DB
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