चंडीगढ़ : शिक्षा में आमूलचूल परिर्वतन के मकसद से बनाया गया थ्री टायर सिस्टम शुरू होने से पहले ही लडखड़़ाने लगा है। इस सिस्टम के लागू होने से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के दावे किए जा रहे हैं। लेकिन शिक्षा विभाग अभी तक टीचर भर्ती नहीं कर पाया है।
बनने थे तीन स्टेज:
इस सिस्टम में पहली से चौथी कक्षा तक के बच्चों को जेबीटी टीचर पढ़ाएंगे। पांच से आठवीं तक के बच्चों को ट्रेंड ग्रेजुएट टीचर पढ़ाएंगे। नौंवी से दस जमा दो तक के बच्चों को पोस्ट ग्रेजुएट टीचर पढ़ाएंगे। इसके पीछे सोच थी कि नौंवीं कक्षा से ही बच्चे कंपीटिशन की तैयारी शुरू कर दे। शिक्षा में सुधार हो सके। अभी तक सिस्टम यह है कि पहली से पांचवीं तक छठी से दसवीं तक और प्लस वन और टू तक के वर्ग है।
सूत्रों के मुताबिक अब टू टायर सिस्टम पर ही विचार किया जा रहा है। इसमें पहली से 8 तक एक और नौंवी से दस जमा दो तक दो भाग में बांटा जाए। संघ की तो यह भी मांग है कि आठवीं कक्षा का बोर्ड भी होना चाहिए। इससे शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। इस ओर भी सरकार को ध्यान देना चाहिए।
जो भी हो, जल्द हो:
जो भी हो, जल्द हो:
अध्यापक संघ यमुनानगर के जिला प्रधान प्रदीप सरीन ने बताया कि तीन साल से असमंजस की स्थिति बनी हुई है। न तो अभी तक थ्री टायर सिस्टम लागू हुआ। न अभी तक टू टायर। इससे दिक्कत यह आ रही है नौवीं कक्षा को पढ़ाने वाले मास्टर सोचते हैं कि इन बच्चों को लेक्चरर पढ़ाएंगे, लेक्चरर सोचते मास्टर। इसका सीधा असर पढ़ाई पर पड़ रहा है।
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