बिलासपुर: हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड ने भले ही देरी से यह निर्णय लिया है कि परीक्षा संचालन पर आने वाले खर्च का स्कूलों को भुगतान किया जाएगा। इससे स्कूल संचालकों ने राहत की सांस ली है। परीक्षा संचालक संशय में थे कि परीक्षा पर होने वाले खर्च को कहां से करें। विशेषकर सरकारी स्कूलों में फंड न होने से दिक्कत आ रही है।
दसवीं की परीक्षा का संचालन स्कूल स्तर पर किया जा रहा है। इसके लिए बोर्ड ने कोई नीति निर्धारित नहीं की थी। आनन-फानन में बोर्ड ने यह फैसला लिया कि पेपर की मार्किंग स्कूल स्तर पर होकर केंद्र स्तर पर की जाएगी। ऐसे में पेपर एकत्र करने की समस्या आई। परीक्षा के दौरान निर्देश आए कि उत्तर-पुस्तिका समवन्य केंद्र पर जमा कराई जाएं, लेकिन परीक्षा संचालकों को न तो उत्तर-पुस्तिका पैक करने के लिए कोई सामग्री दी गई और न ही पेपर सील करने के लिए कोई निर्देश जारी किए गए। यहां तक कि बच्चों की हाजिरी वगैरा का रिकॉर्ड भी कैसे रखना है। इस संबंध में भी परीक्षा संचालक स्पष्ट नहीं थे। बोर्ड ने स्कूल संचालकों को एसएमएस के जरिए सूचित किया है कि जो भी खर्चा परीक्षा संबंधी कार्य पर किया जाएगा। उसका भुगतान बाद में कर दिया जाएगा।
भुगतान में आएगी दिक्कतें :
हरियाणा मास्टर्स वर्ग एसोसिएशन के जिला प्रधान राजबल सिंह का कहना है कि बोर्ड से भुगतान लेना आसान काम नहीं है। अब परीक्षा संचालक बिल बनाते रह जाएंगे। बस बोर्ड से लगेंगे तो ऑब्जेक्शन। उनका कहना है कि एक बिल पास कराने के लिए बोर्ड के साथ पूरा साल पत्राचार करना पड़ेगा। ओपन बोर्ड परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी करने वाले शिक्षकों को पिछले साल का भुगतान आज तक नहीं हो पाया। db
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