जींद : लगभग साढ़े छह माह बाद जिले के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा की किताबें पहुंच गई है। कुछ माह पहले पहली और दूसरी कक्षा की किताबें पहुंच सकी थी। तीसरी से सातवीं कक्षा की किताबें कब स्कूलों में आएंगी, फिलहाल विभागीय अधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं है। वहीं शिक्षक पुरानी किताबों से ही बच्चों का सिलेबस पूरा कराने में लगे हुए हैं। पहली से आठवीं कक्षा तक के स्कूलों में अब तक किताबें नहीं पहुंच सकी है। इसके चलते शिक्षा विभाग ने कुछ समय पहले विभिन्न कंपनियों को किताबों के लिए टेंडर दिए थे और कहा था कि जल्द ही स्कूलों में किताबें पहुंच जाएंगी। कक्षाओं का आधा सत्र बीत चुका है और अब जाकर आठवीं कक्षा की किताबें स्कूलों में पहुंच रही हैं। जिले में आठवीं कक्षा की किताबों का वितरण का काम चल रहा है। एसएसए तथा खंड कार्यालयों में आठवीं की पुस्तकों को भेज दिया गया है और वहीं से स्कूल मुखियाओं को पुस्तकें अपने-अपने स्कूलों में ले जाने के निर्देश दिए गए हैं।
खुद उठा रहे ट्रांसपोर्ट का खर्च :
जिस कंपनी को किताब पहुंचाने का टेंडर दिया गया है, उस कंपनी ने संबंधित किताबों को एसएसए कार्यालय में पहुंचा दिया है, लेकिन स्कूलों तक नहीं पहुंचाया।
स्कूलों तक पहुंचाई जाए किताबें:
हरियाणा स्कूल प्रिंसिपल एसोसिएशन के पूर्व प्रधान रमेशचंद्र मलिक ने कहा कि लापरवाही की हद हो गई है कि अब तक आठवीं कक्षा की किताब ही पहुंच सकी है। यह किताब भी एसएसए व खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालयों से उठवानी पड़ रही हैं, जिससे स्कूल मुखियाओं को अतिरिक्त खर्च स्वयं वहन करना पड़ रहा है। संबंधित कंपनी को चाहिए कि वह किताबों को स्कूलों तक पहुंचाएं।
"फिलहाल आठवीं कक्षा की किताबें आ चुकी हैं और वह स्कूलों में भेजी जा रही हैं। बाकी किताबें भी जल्द ही आने की संभावना है।"--दिलबाग मलिक, जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी dj
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