भिवानी : हरियाणा गवर्नमैंट स्कूल प्रिंसिपल्स एसोसिएशन ने शिक्षा बोर्ड से मांग की है कि स्कूलों में सैमेस्टर परीक्षा रद्द कर वार्षिक परीक्षा ली जाए।एसोसिएशन के एक प्रतिनिधिमंडल ने आज प्रधान हरिप्रकाश की अध्यक्षता में यहां हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन डा.के सी.भारद्वाज व सचिव अशंज सिंह से मुलाकात की। प्रतिनिधिमंडल का कहना था कि स्कूलों में बड़ी संख्या में अध्यापकों के पद खाली होने के कारण पढ़ाई न हो पायी इस लिये इस बार सैमेस्टर की बजाए वार्षिक परीक्षा ही ली जाए। जिन विद्यालयों में जिन विषयों के अध्यापक उपलब्ध नहीं हुए उनका मूल्यांकन करने के तरीके के बारे में विस्तुत दिशा निर्देश जारी किए जाएं साथ ही प्रमुख केंद्र अधीक्षक का मानदेय बढ़ाया जाए। एसोसिएशन के प्रैस सचिव आजाद सिंह लाठर ने बताया कि चेयरमैन और बोर्ड सचिव ने प्रतिनिधिमंडल को इन मुद्दों पर विस्तृत विचार विमर्श के लिए शीघ्र ही दोबरा आमंत्रित करने का आश्वासन दिया है।
एसोसिएशन का कहना है कि स्कूलों में बड़ी संख्या में अध्यापकों के पद खाली हैं। कुछ स्कूलों में तो कई विषयों के अध्यापक सैमेस्टर भर उपलब्ध नहीं हुए, लेकिन बोर्ड ने बदस्तूर प्रथम सैमेस्टर परीक्षा की घोषणा कर दी। इतना ही नहीं इसके संचालन से लेकर मूल्यांकन तक की सारी जिम्मेवारी उन्हें दे दी। इससे वे दुविधा में हैं कि जिन विद्यार्थियों को पढ़ाया ही नहीं उन्हे अपने ही हाथों फेल कैसे करें।
लाठर ने बताया कि विद्यार्थियों का अन्तिम परीक्षा परिणाम दोनों सैमेस्टर परीक्षाओं में प्राप्त अंक जोड़कर बनाया जाता है और विद्यार्थियों का दोनों में पास होना अनिवार्य होता है। स्कूलों में ढांचागत सुविधाएं नहीं है। आनलाईन परीक्षा आवेदन पत्र जमा करवाने का कार्य तक बाजार से करवाना पड़ रहा है। उन्होंने स्कूलों में ढांचागत सुविधाएं उपलब्ध करवाने की मांग की।
एसोसिएशन ने मांग की कि प्रमुख केंद्र अधीक्षक का मानदेय 60 रुपये है,जिसे बढ़ाकर 500 रुपये किया जाए। बोर्ड सचिव ने उक्त मांगों को शीघ्र पूरा करने का आश्वासन दिया तथा साथ ही बताया कि बोर्ड सचिव ने बताया कि नौंवी की एनरोलमैंट रिटर्न भरने की तिथि बढ़ाई जाएगी। इससे पूर्व बोर्ड की वेबसाईट को पूरी तरह से दुरस्त कर दिया जाएगा।
"इस वर्ष 22 मई तक शिक्षा सचिव सुरीना राजन के आदेश पर कक्षा तत्परता कार्यक्रम चलाया गया। फिर ग्रीष्मावकाश हो गया। मिड हैड पदोन्नति का मामला हो गया। किताबें स्कूलों में उपलब्ध नहीं है। इससे छात्रों की पढ़ाई नहीं हो सकी।"--प्रेस सचिव आजाद सिंह लाठर ...dt
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