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Friday, 27 September 2013

बिना सिलेबस पूरा किए दसवीं के छात्रों की 'अग्नि परीक्षा' आज से

** शिक्षा बोर्ड का कारनामा किताबें लेट मिलीं, अध्यापक थे नहीं 
पानीपत : पहले तो ढाई महीने किताबें ही उपलब्ध नहीं हुई। फिर गरमी की छुट्टियां हो गई। मिडिल हेड पदोन्नति के चलते स्कूलों में बहुत से पद खाली हो गए। कुल मिलाकर स्कूलों में 115 दिन की बजाय 67 दिन ही पढ़ाई हुई। अब शुक्रवार से दसवीं के पहले सेमेस्टर की परीक्षा शुरू हो रही है। जाहिर है बच्चे आधी-अधूरी तैयारी के साथ पेपर देने जाएंगे। नतीजों को लेकर सशंकित सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपलों ने बुधवार को ही शिक्षा बोर्ड के चेयरमैन केसी भारद्वाज से मिलकर परीक्षा टालने की गुजारिश की थी। बोर्ड में करीब 3.80 लाख छात्र दसवीं के लिए पंजीकृत हैं। इनमें से आधे से ज्यादा सरकारी स्कूलों में पढ़ते हैं। वर्ष 2012-13 में सरकारी स्कूलों के सिर्फ 40.93 प्रतिशत छात्र ही पास हो सके थे। 
"किताबें न होने के बावजूद पढ़ाई प्रभावित नहीं होने दी बल्कि बुक बैंक (पुराने छात्रों द्वारा लौटाई किताबें) से काम चला लिया गया।"-- गीता भुक्कल, शिक्षा मंत्री 
"सरकारी स्कूलों की तरफ से परीक्षा न लेने की गुजारिश हुई थी, लेकिन परीक्षा होगी।"-- अंशज सिंह, सचिव, शिक्षा बोर्ड 
67 दिन ही हुई स्कूलों में पढ़ाई 
हरियाणा गवर्नमेंट स्कूल प्रिंसिपल एसोसिएशन का तर्क है कि 25 मार्च से सत्र शुरू हुआ लेकिन मई के अंत तक दसवीं की किताबें बाजार में उपलब्ध नहीं थी। इसलिए शिक्षा सचिव सुरीना राजन के आदेश पर कक्षा तत्परता कार्यक्रम चलाया गया। फिर गरमी की छुट्टियां हो गई। छुट्टियों में ही काफी अध्यापक मिडिल स्कूलों के हेडमास्टर पदोन्नत हो गए। बहुत से पद पूरा सत्र खाली पड़े रहे। कुल मिलाकर पहले सेमेस्टर के 115 कार्य दिवसों में से 67 दिन ही पढ़ाई हुई। 
तीन नतीजे संभावित 
पहला 
अध्यापक अपनी खाल बचाने के लिए परीक्षार्थियों को खुले हाथ से अंक बांटेंगे क्योंकि नतीजे खराब रहे तो शिक्षा विभाग तो अध्यापकों से ही जवाब तलब करेगा। 
दूसरा 
हालात को देखते हुए नतीजे सुधारने के लिए बोर्ड ग्रेस मार्क देने की व्यवस्था करे, जैसा कि सरकारी स्कूलों के मुखिया मांग भी कर चुके हैं। 
तीसरा 
ईमानदारी से परीक्षा संचालित हुई तो नतीजे 2012-13 के सत्र से भी खराब रह सकते हैं, जोकि पिछले चार सालों में सबसे कमजोर रहे थे। सुधार के लिए बोर्ड को नया सिस्टम अपनाना पड़ा। 
एससीईआरटी की किताबें ही मान्य
सरकारी स्कूलों में राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान (एससीईआरटी) की किताबें ही बोर्ड से मान्य हैं। बाजार में एससीईआरटी की पुस्तकें मिलने में काफी समस्या आई। एडिड स्कूल एसोसिएशन के महासचिव आरसी बंसल के मुताबिक मजबूरी में प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों से बच्चों को तैयारी कराई है। 
बता दें कि इसी साल बोर्ड ने दसवीं के पहले सेमेस्टर की परीक्षा स्कूलों के हवाले की है। बोर्ड सिर्फ प्रश्न पत्र व उत्तर पुस्तिका देगा। परीक्षा लेने और पेपर जांचने की जिम्मा अपने-अपने स्कूलों के अध्यापकों के पास रहेगा। दूसरा सेमेस्टर बोर्ड लेगा। ....db




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