चंडीगढ़ : सरकारी कर्मचारी यदि इस्तीफा स्वीकार होने से पहले वापस ले लेता
है, तो उसकी सेवा समाप्त नहीं की जा सकती है। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट
ने पूर्व में दिया गया सिंगल बेंच (एकल पीठ)का यह आदेश बरकरार रखा है।
सिंगल के बेंच के फैसले को हरियाणा सरकार ने डिवीजन बेंच (खंडपीठ)में
चुनौती दी थी। दरअसल, मानेसर के एक सरकारी स्कूल की शिक्षिका सावित्री देवी
ने 13 मार्च 2012 को इस्तीफा दे दिया था।
प्रधानाचार्य को दिए गए इस्तीफे
में सावित्री ने कहा था कि वह दिल्ली के नजफगढ़ में एमसी चुनाव में भाग
लेना चाहती हैं। प्रधानाचार्य ने उनके इस्तीफे को उच्च अधिकारियों के पास
भेज दिया। इस दौरान 15 अप्रैल को चुनाव हो गए और सावित्री हार गईं।
उन्होंने 19 अप्रैल को अपनी सेवा को बहाल करने और इस्तीफा वापस लेने की
अर्जी दी। जिला शिक्षा अधिकारी ने इसके बारे में शिक्षा विभाग को जानकारी
भी दे दी। बावजूद इसके विभाग की ओर से 1 मई को शिक्षिका को पत्र लिखकर सेवा
समाप्त किए जाने और इस्तीफा मंजूर होने की सूचना दी गई। इसके खिलाफ
शिक्षिका हाईकोर्ट में चली गई। हाईकोर्ट में हरियाणा सरकार ने कहा कि एक
बार चुनाव में भाग लेने के लिए यदि इस्तीफा दिया जाता है तो उसे वापस नहीं
लिया जा सकता है। एकल पीठ ने शिक्षिका के पक्ष में फैसला दिया तो हरियाणा
सरकार ने खंडपीठ में अर्जी दायर की। सरकार ने कहा कि हाईकोर्ट की सिंगल
बेंच ने सरकारी नियमों का ध्यान नहीं रखा। सरकार के नियम के अनुसार चुनाव
की स्थिति में यह नियम लागू नहीं होता है। इसके जवाब में शिक्षिका की ओर से
कहा गया कि उन्होंने चुनाव लड़ने के लिए स्वैच्छिक इस्तीफा दिया था और एक
माह का अग्रिम वेतन भी जमा कराया था। चुनाव के दौरान उन्होंने अपनी सेवाओं
को जारी रखा था। इसलिए उन्हें सेवामुक्त नहीं किया जा सकता।
दोनों पक्षों
को सुनने के बाद खंडपीठ ने एकल पीठ फैसले को सही करार दिया। खंडपीठ ने कहा
कि इस्तीफा देने के बाद यह सरकार पर था कि वह उसे मंजूर कर ले। इस्तीफा
मंजूर करने में देर हुई और चुनाव के बाद सावित्री देवी ने बिना देर किए
सेवा को बहाल करने की अपील कर दी। dj
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