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Sunday, 5 June 2016

बिना टीचर बने स्कूलों में पढ़ाना अब संभव है


** कदम : गृहिणियों से लेकर प्रवासी भारतीय तक कर सकेंगे बच्चों की मदद

नई दिल्ली : जो लोग अपने इलाके के सरकारी स्कूल के छात्रों की पढ़ाई में या उनके हुनर और व्यक्तित्व विकास में कोई मदद करना चाहते हैं, उनके लिए अपना सपना साकार करना बहुत आसान हो जाएगा। देश भर के 20 राज्यों के सरकारी स्कूलों में इस 16 जून से ‘विद्यांजलि योजना’ शुरू की जा रही है। इसके तहत आप अपने मनचाहे स्कूल में अपनी सेवा दे सकेंगे। केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने सरकारी स्कूलों के विकास में आम लोगों को जोड़ने की अपनी पहल के तहत यह योजना शुरू की है। यानी, मुमकिन है कि आप पाएं कि किसी बहुराष्ट्रीय कंपनी का रिटायर्ड इंजीनियर छात्रों को गणित के फामरूले सिखा रहा है और कोई मशहूर संगीतकार सरकारी स्कूलों के छात्रों के साथ ताल में ताल मिला रहा है। इस योजना पर तैयारी पिछले साल ही शुरू कर दी गई थी। आठ फरवरी को राज्यों के साथ हुई बैठक में भी इस पर राज्यों से सहमति ली गई थी। अब तक 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने इस पर अपनी सहमति दे दी है। इसके तहत विद्यांजलि या माईगॉवडॉटइन वेबसाइट पर जाकर कोई भी व्यक्ति अपनी पसंद के स्कूल में अपनी सेवा देने का प्रस्ताव कर सकता है। संबंधित स्कूल की ओर से उससे संपर्क कर उसका सहयोग लिया जाएगा। 

केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने बताया है कि इसमें स्कूल के पास के इलाके की पढ़ी-लिखी या हुनरमंद घरेलू महिलाओं से लेकर प्रवासी भारतीय तक कोई भी शामिल हो सकता है। सेवानिवृत्त हो चुके शिक्षकों, सरकारी कर्मचारियों और सैन्यकर्मियों को खास तौर पर इसमें शामिल किया जाएगा। अगर ये नियमित सेवा देने को तैयार होते हैं तो इन्हें अलग से मानदेय भी दिया जा सकेगा।
मंत्रलय ने यह भी साफ कर दिया है कि इस वालंटियर सेवा को औपचारिक तौर पर होने वाली शिक्षकों की भर्ती के अतिरिक्त माना जाएगा और इसका मुख्य भर्ती पर कोई असर नहीं पड़ेगा, न ही इन पर मुख्य पाठ्यक्रम की जिम्मेवारी होगी। पढ़ाने के साथ ही ये खेलकूद, कौशल विकास, स्वास्थ्य संबंधी अच्छी आदतों के बारे में जानकारियां, योग और आसन का प्रशिक्षण, संगीत और कलाओं का प्रशिक्षण आदि गतिविधियों में भी मदद कर सकेंगे।                                                    dj

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