चंडीगढ़ : प्रदेश में छात्रों की कमी के कारण बंद हो चुके करीब
चार सौ स्कूलों में अब ग्राम सचिवालय खोले जाएंगे। इन स्कूलों की खाली
पड़ी बिल्डिंग पंचायत एवं विकास विभाग को सौंपने के फरमान जारी हो चुकाहै।
यह स्कूल या तो दान की जमीनों पर बने हुए थे या फिर पंचायतों की जमीन पर
संचालित थे। बच्चों के अभाव में इन स्कूलों को बंद अथवा दूसरे स्कूलों में
मर्ज करना पड़ा है।
वर्ष 2011 में मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम के
लागू होने के बाद राज्य में करीब 400 सरकारी स्कूल या तो बंद हो गए या फिर
उन्हें दूसरे स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। इन स्कूलों में बच्चे नहीं
आते थे, जबकि शिक्षक भी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते थे। नतीजतन स्कूलों को
मर्ज या बंद करना पड़ा।
शिक्षा निदेशालय ने अब इन स्कूलों की बिल्डिंग
पंचायत एवं विकास विभाग को सौंपने के लिए मौलिक शिक्षा अधिकारियों के पास
पत्र भिजवा दिए हैं। इन पत्रों पर अमल भी चालू हो चुका है। राज्य में 168
स्कूल ऐसे हैं, जिनमें किसी भी समय ग्राम सचिवालय खोला जा सकता है। इनकी
तमाम औपचारिकताएं पूरी होने वाली हैं। बाकी स्कूलों में भी जल्दी ही ग्राम
सचिवालय खोले जाएंगे।
केंद्र सरकार की योजना के तहत राज्य सरकार हर पंचायत
क्षेत्र में ग्राम सचिवालय खोलने की अवधारणा पर तेजी से काम कर
रही है, ताकि ग्रामीणों को अपने कामों के
लिए जिला या प्रदेश मुख्यालय पर न जाना पड़े। राजकीय
प्राथिमक शिक्षक संघ के प्रधान विनोद ठाकरान और महासचिव दीपक
गोस्वामी का कहना है कि सरकार को स्कूलों की मैपिंग
कराने की बजाय बच्चों की मैपिंग करानी चाहिए। जिस एरिया में बच्चे ज्यादा
मिलेंगे, वहां प्राथमिक स्कूल खोला जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जिन
स्कूलों को मर्ज या बंद किया जा चुका है, उन्हें फिर से संचालित करने के
लिए एक साल का मौका और दिया जाए, ताकि शिक्षक व सरकार मिलकर इन स्कूलों में
फिर से बच्चों को ला सके। dj
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