सोनीपत : शिक्षा विभाग के नियम 134ए के तहत फर्जी दस्तावेज के आधार पर दाखिले पाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग उन सभी प्रमाण पत्रों की जांच करवाएगा, जिन्होंने नियम 134ए के तहत बच्चों का दाखिला करवाया है।
अारोप है कि काफी ऐसे अभिभावक है जो आर्थिक रूप से बेहतर है, लेकिन उन्होंने प्रमाण पत्र गरीबी रेखा से नीचे का बनाया हुआ है। बताया गया है कि इस संदर्भ में मौलिक शिक्षा निदेशालय की ओर से अादेश भी चुके हैं। अब स्थानीय स्तर पर इसकी जांच होगी। इस जांच का यह दायरा डीसी की रख-रखाव में होगा। ऐसे में अगर जांच के दौरान कोई एडमिशन फर्जी दस्तावेजों पर होना पाया गया तो निश्चित रूप से उसपर गाज गिरना तय है।
"जिन लोगों ने 134 के सर्टिफिकेट बनवाया है, उनकी जांच हो तथा जांच में अगर कोई सर्टिफिकेट फर्जी पाया जाता है तो बनवाने और बनाने वाले के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। अजमेर सिंह, जिला अध्यक्ष, हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ यह देखने में काफी आया है कि जो पूर्व में क्षमतावान थे वही दाखिले के लिए गरीब हो गए। ऐसे लाेगों का भंडाफोड होना चाहिए ताकि जो पात्र है उनके साथ अन्याय नहीं हो। ''-- राकेश कुच्छल, चेयरमैन, श्रीजी इंटरनेशनल स्कूल।
जोड़तोड़ से हांसिल किए सर्टिफिकेट
शैक्षणिक सत्र की शुरुआत से पहले ही 134ए के तहत एडमिशन हासिल करने वालों की लाइनें लग गई थी। एडमिशन नियमों पर हो, इसलिए विभाग ने भी पेरेंट्स को इनकम सर्टिफिकेट बनवाने के आदेश जारी कर दिए थे। लिहाजा विभाग का फरमान मिलते ही कुछ अभिभावकों ने जोड़तोड़ करके सर्टिफिकेट हासिल कर लिए थे। इस साल विभाग के पास 134ए के तहत एडमिशन लेने वालों के करीब छह हजार आवेदन पहुंचे थे। इसके बाद टैस्ट आयोजित किया गया। जिसमें 1752 विद्यार्थी पात्र घोषित किए गए।
इस तरह बनता है इनकम सर्टिफिकेट :
134एकेतहत गरीब मेधावी बच्चे को एडमिशन देने की सरकार की योजना है। इसके लिए पेरेंट्स की तरफ से संबंधित अधिकारी को एक शपथपत्र दिया जाता है। यह सर्टिफिकेट 2 लाख से कम इनकम वाले को जारी किया जाता है। इसके अलावा दस्तावेजों की सत्यता को भी प्रमाणित किया जाता है। इसके बाद ही यह सर्टिफिकेट जारी होता है।
मोहर लगाने वालों पर भी रहेगी नजर :
जिनअधिकारियों ने टेबल पर बैठे-बैठे पेरेंट्स को इनकम सर्टिफिकेट जारी कर दिए। उन अधिकारियों पर भी जांच पूरी होने के बाद कार्रवाई की संभावना है। क्योंकि इनकम सर्टिफिकेट जारी करने से पहले केस की सत्यता जानना जरूरी होता है। db
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