पानीपत : एसीआर की बात हो या ग्रांट का उपयोग। सरकारी स्कूलों में ढाई माह से सेवाएं दे रहे मिडिल हेड शिक्षकों को विभागीय शक्तियां (डिपार्टमेंटल पावर) नहीं मिली है। अटैच सरकारी स्कूलों में तो कुर्सी के भी लाले पड़े हैं। सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के प्रधानाचार्य मिडिल हेड के पावर का बेरोकटोक उपयोग करने में लगे हैं। पदोन्नति की प्रतीक्षा में बैठे 5500 शिक्षकों को मौलिक शिक्षा निदेशालय ने बीते 17 जून को एक आदेश जारी कर मिडिल हेड के पद पर पदोन्नत कर दिया। पदोन्नति से सरकारी स्कूलों में रिक्त पदों को भरने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई। शिक्षकों को आवंटित स्टेशनों पर शीघ्र ज्वाइन करने के निर्देश दिए गए। पदोन्नति की खुशी में शिक्षकों ने आनन फानन में स्कूल में योगदान दे दिया। स्वतंत्र (इंडिपेंडेंट) मिडिल स्कूलों में तो उन्हें कुर्सी नसीब हो गई लेकिन जो मिडिल स्कूल हाई व सीनियर सेकेंडरी से अटैच हैं उनमें मिडिल हेड शिक्षकों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। विभागीय शक्तियां तो दूर सरकारी स्कूलों में उन्हें बैठने के लिए कुर्सी भी नहीं मिली है।
पावर के बहाने टाइम पास :
शिक्षकों के एसीआर लिखने की जिम्मेदारी स्कूल इंचार्ज (प्रमुख) की होती है। मिडिल हेड बने ढाई माह बीत गए लेकिन उनके अधीन कार्य करने वाले अध्यापकों का एसीआर नहीं लिखा जा रहा है। निदेशालय पत्र के बहाने हाइ व सीनियर सेकेंडरी स्कूलों के प्रमुख मिड डे मील का कार्य भी उन्हें नहीं सौंप रहे। एसएसए से जारी होने वाले विभिन्न ग्रांट राशि का उपयोग पदोन्नत शिक्षक नहीं कर सकते। मतलब साफ है कि पावर न मिलने के बहाने स्कूल में हाजिरी लगा कर टाइम पास करते हैं। राजकीय मिडिल स्कूलों का कार्य ऐसे में पेंडिंग हो जाएगा।
निदेशालय को पत्र लिखा :
जिला शिक्षा अधिकारी (मौलिक) सरोज बाला गुर का कहना है कि मिडिल हेड शिक्षकों को विभागीय शक्तियां दिलाने के लिए निदेशालय को पत्र लिखा गया है। मिडिल हेडों को जल्द ही शक्तियां मिल जाएंगी। उनका कहना है कि शिक्षकों को जब तक लिखित पावर नहीं मिल रहा संबंधित स्कूल के प्रधानाचार्य उन्हें कामकाज में सहयोग करें। ....dj
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