नई दिल्ली : केंद्र सरकार एक ऐसी योजना पर काम कर रही है, जो कई अफसरों पर भारी पड़ सकती है। इसके तहत अगर कोई अफसर बिना पूर्व सूचना के आधे घंटे देरी से दफ्तर आया तो उसे आधे दिन की ही सैलरी मिलेगी। सप्ताह में लगातार तीन दिन आधे घंटे या इससे अधिक की देरी पर एक दिन की सैलरी कटेगी। उसकी परफॉरमेंस के आधार पर ही उसे छुट्टी या प्रमोशन मिलेगा।
नौकरशाहों को अधिक जवाबदेह बनाने के लिए हाल ही में कैबिनेट सचिव पीके सिन्हा की अध्यक्षता में बैठक हुई थी। इसके बाद कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) ने सरकार के सभी मंत्रालयों को निर्देश दिया है।
इसमें भ्रष्टाचार के संदिग्ध अफसरों को कंपल्सरी रिटायरमेंट के लिए मूल नियम (56-जे) के प्रावधानों को लागू करने को कहा गया है। डीओपीटी मंत्री जीतेंद्र सिंह ने कहा, 'नई व्यवस्था से प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। बेहतर नतीजे आएंगे।' सूत्रों के मुताबिक, बिहार चुनाव के बाद अधिकारियों को इधर-उधर किया जाएगा। अगर परफॉरमेंस अच्छा नहीं हुआ तो मूल कैडर में वापस भेज दिया जाएगा।
तीन महीने का नोटिस और कंपल्सरी रिटायरमेंट :
नए मसौदे के मुताबिक अफसरों को सप्ताह के हर मंगलवार को ई-मॉनीटरिंग के जरिए अपनी प्रगति रिपोर्ट अपडेट करनी पड़ेगी। महीने के अंतिम सप्ताह में इस रिपोर्ट पर सीनियर अधिकारी की सहमति जरूरी है। रिपोर्ट अपडेट होने पर ऑनलाइन अपडेट में लाल निशान दिखेगा। उससे वजह पूछी जाएगी। सालाना अप्रेजल अपडेट में फेल होने पर तीन महीने का नोटिस देकर किसी को भी कंपल्सरी रिटायरमेंट दिया जा सकता है। कैबिनेट सचिव के अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय के छह अधिकारियों की टीम आकलन करेगी।
भ्रष्टाचार के आरोपी अफसरों को क्लीनचिट के बाद प्रमोशन :
भ्रष्टाचारके आरोपी अफसरों को अनुशासनात्मक कमेटी से क्लीन चिट मिलने के बाद प्रमोशन दिया जाएगा। उसी तारीख से जब से उसके जूनियर को प्रमोशन मिलेगा। फिलहाल आरोपी अफसरों की फाइल निर्धारित समय पर डिपार्टमेंटल प्रमोशन कमेटी (डीपीसी) के पास जाती है। डीपीसी उनके संबंध में फैसला सीलबंद लिफाफे में रख देती है। आरोपमुक्त होने के बाद उन्हें प्रमोशन मिल जाता है। लेकिन यह कब से मिले, इसके नियम तय नहीं है। db
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