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Thursday, 17 September 2015

दो साल के बीएड से युवाओं का मोह भंग

** प्रदेश में आधे से ज्यादा सीट अब तक खाली
** प्रदेश की कुल 60 हजार में से 32 हजार सीट खाली
जींद : बीएड कोर्स की अवधि दो साल करने का सरकारी फैसला युवाओं को रास नहीं आ रहा है। जिन बीएड कॉलेजों में दाखिले के लिए मारामारी रहती थी, अब उनमें सीट भी फुल नहीं हो पा रही है। प्रदेश की कुल 60 हजार में से 32 हजार सीट आज तक खाली पड़ी है, जबकि चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय द्वारा तीन कांउसिलिंग की जा चुकी है। इस बार बीएड कॉलेजों की कांउसिलिंग का जिम्मा जींद के चौधरी रणबीर सिंह विवि को मिला। इसके लिए जुलाई महीने में प्रक्रिया शुरू की गई, लेकिन अभी तक प्रदेश के कॉलेजों की आधी सीट भी नहीं भरी है। तीन कांउसिंलिंग होने के बाद भी जब सीट नहीं भरी तो, विवि में नए सिरे से उम्मीदवारों से आवेदन मांगे हैं। इसके परिणाम स्वरूप पिछले तीन दिन में 1200 आवेदन विश्वविद्यालय को मिल चुके हैं। आवेदन आने की यह गति भी इतनी कम है कि विश्वविद्यालय को नहीं लगता की 60 प्रतिशत से अधिक सीट भर पाएंगे। बीएड से मोह भंग होने का आलम यह है कि सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों में भी 50 सीट खाली पड़ी है।
फीस में भारी अंतर सरकारी तथा निजी कॉलेजों की फीस में भारी अंतर है। जहां सरकारी कॉलेज में विश्वविद्यालय शुल्क के अलावा 12 हजार रुपये प्रति वर्ष की फीस ली जा रही है वहीं निजी कॉलेजों में विश्वविद्यालय फीस के अलावा 48 हजार रुपये फीस ली जा रही है। अब सामान्य वर्ग के उम्मीदवार चार हजार रुपये तथा एससी, बीसी व अपाहिज उम्मीदवार 3625 रुपये लेट फीस के साथ 24 सितंबर तक आवेदन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय को सात अक्टूबर तक दाखिला प्रक्रिया पूरी करनी है। 
चौधरी रणबीर विवि में की जा चुकी है तीन कांउसिलिंग
"जो लोग किन्हीं कारणों से आवेदन नहीं कर सके, उनके लिए एक मौका और है। वे लेट फीस के साथ आवेदन कर सकते हैं। इसके तहत उनको दाखिला दिया जाएगा।"-- मेजर जनरल डॉ. रणजीत सिंह, वाइस चांसलर, सीआरएसयू।                                                                                              db

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