चंडीगढ़ : प्रदेश के शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा ने शुक्रवार को पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती के मौके पर संकल्प लिया कि वे रोजाना किसी किसी एक सरकारी स्कूल का निरीक्षण जरूर करेंगे। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की मौजूदगी में संकल्प लेते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों में गिरते शिक्षा का स्तर सुधारने को उन्होंने चुनौती के रूप में लिया है। उन्होंने कहा कि वे इस धारणा को खत्म करने की कोशिश करेंगे कि सरकारी स्कूलों में अच्छी पढ़ाई नहीं होती, बल्कि संस्कार परक शिक्षा देने लायक माहौल बनाएंगे।
इससे पहले पंचकूला के सेक्टर-14 स्थित किसान भवन में हरियाणा शिक्षा विभाग की ओर से प्रदेश की नई शिक्षा नीति पर राज्य स्तरीय परामर्श संगोष्ठी आयोजित की गई। इसके समापन सत्र में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय ने समाज के अंतिम व्यक्ति तक लाभ पहुंचाने के लिए अंत्योदय का नारा दिया था। विकास के नाते सरकार सड़क, भवन और अन्य आधारभूत संरचना का निर्माण करती हैं परंतु मानव निर्माण शिक्षा से ही संभव है। उन्होंने कहा कि सरकार ने संस्कारी शिक्षा नीति बनाने की पहल की है, जिस पर सबकी संतुष्टि है। सीएम ने कहा कि आजादी के बाद जिस गति से देश को विकास की दिशा मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिल पाई। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने विश्व में अपनी एक नई पहचान फिर से कायम की है।
शिक्षा नीति बनाने के लिए जनमानस की भागीदारी निचले स्तर से शुरू
सीएम ने कहा कि देश की आजादी के 68 वर्षों बाद पहली बार हुआ है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए जनमानस की भागीदारी निचले स्तर से शुरू की गई है। जबकि पहले सरकार दिल्ली में नीति निर्धारित करके गांव तक पहुंचाती थी। इस बार गांव में ग्राम सभाओं, खंड, जिला, शहरी स्थानीय निकाय और अब राज्य स्तर पर परामर्श बैठक आयोजित कर शिक्षाविदों तथा अन्य व्यक्तियों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। इन्हें अब केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय को भेजा जाएगा। मुख्यमंत्री ने इतने कम समय में नीति का मसौदा तैयार करने के लिए शिक्षा विभाग के अधिकारियों की प्रशंसा की। अतिरिक्त मुख्य सचिव विजय वर्धन ने बताया कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति तैयार करने के लिए देश की 2.50 लाख ग्राम पंचायतें, 6800 खंडों, 3700 शहरी स्थानीय निकाय, 676 जिलों से सुझाव आमंत्रित किए गए हैं। हरियाणा देश का ऐसा पहला राज्य है जहां सरकारी स्कूलों में लड़कियों और लड़कों के लिए अलग-अलग शौचालयों की व्यवस्था की गई है। db
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