अम्बाला : प्रदेश सरकारके कक्षा दो से 12 तक के बच्चों को निजी स्कूलों में पढ़ाने की एवज में मात्र 200 से लेकर 400 रुपए प्रतिमाह बतौर फीस देने पर फेडरेशन ने एतराज जता दिया है। फेडरेशन ऑफ प्राइवेट स्कूल महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष कुलभूषण शर्मा ने कहा कि यह निर्णय निजी स्कूलों के साथ भद्दा मजाक है।
याद रहे कि पिछले 4 दिन से शर्मा आॅल इंडिया कॉन्फ्रेंस में इसी नीति को लेकर गोआ में दक्षिण भारत के कई राज्यों के प्रतिनिधियों से वार्तालाप कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि हरियाणा सरकार की शिक्षा नीति 2015 में कई अहम फैसले लिए गए। इनमें एक बिंदु 134ए के तहत पढ़ने वाले बच्चों का भी था। उन्होंने कहा कि शिक्षा के अधिकार के तहत राजस्थान में 1700 रुपए और उत्तराखंड में 1300 रुपए प्रति बच्चे के हिसाब से फीस अदा की जा रही है, जबकि हरियाणा में मात्र 200 से 400 रुपए देकर सरकार अपनी वाहवाही लूटने की कोशिश कर रही है। जो स्कूलों को मंजूर नहीं है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने स्कूलों पर बिजली, पानी के कॉमर्शियल रेट लगाए हुए हैं, जो हरियाणा में सबसे मंह गी है। स्कूलों पर संपत्ति कर भी भारी भरकम है। अब बसों में सीसीटीवी कैमरा और जीपीएस कैमरा लगवाने का आदेश भी सरकार दे चुकी है।
हमें सरकार की शर्त नामंजूर : शर्मा
शर्माने कहा कि सरकार के ऐसे कदमों से ग्रस्त होकर निजी स्कूलों ने अपना संघर्ष पहले से ही छेड़ रखा है। जिसके अंतर्गत 15 सितंबर को अम्बाला, 16 को फतेहाबाद, 18 को फरीदाबाद, 19 को जींद और 24 को कैथल बंद हो चुके हैं। इसी कड़ी में छह अक्टूबर को पलवल, सात को सीएम सिटी करनाल सात को ही पूर्व सीएम सिटी रोहतक को बंद करने जा रहे हैं। इसके अलावा बाकी जिलों की घोषणा भी प्रदेशाध्यक्ष के दौरों से लौटने पर होगी। उन्होंने कहा कि जब तक सरकार प्रतिनिधियों को विश्वास में लेकर फैसला नहीं लेती, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। db
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