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Saturday, 26 September 2015

बच्चों को फेल न करने वाली शिक्षा नीति के खिलाफ हैं शिक्षाविद् और अफसर

** राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 155 शिक्षाविदों व संगठन प्रतिनिधियों ने किया मंथन  
चंडीगढ़ : हरियाणा के शिक्षाविद् और अफसर परंपरागत परीक्षा प्रणाली बदले जाने के खिलाफ हैं। वह सतत व्यापक मूल्यांकन पद्धति के भी विरोधी नहीं हैं, लेकिन इस पद्धति को समझने के लिए शिक्षकों के ओरिएंटेशन कोर्स चलाए जाने के पक्ष में हैं। बच्चों को परीक्षा में फेल नहीं करने की पद्धति उन्हें रास नहीं आ रही। शिक्षाविद मानते हैं कि बच्चों को बिना पढ़े और बिना परीक्षा दिलाए पास करने से उनका विकास नहीं होगा। यह देश और प्रदेश के विकास में बाधा है। 
राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2015 बनाने के लिए हरियाणा से कुछ इसी तरह के सुझाव आए हैं। पंचकूला के किसान भवन में 13 अलग-अलग बिंदुओं पर करीब डेढ़ सौ शिक्षाविद, गैर सरकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, जिला एवं ब्लाक शिक्षा अधिकारियों, मौलिक शिक्षा अधिकारियों और नेशनल अवार्ड विजेता शिक्षकों ने कई घंटे तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए मंथन किया। 
1986 में राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनने के बाद 1993 में पहला संशोधन हुआ था। इसके बाद केंद्र की मोदी सरकार नई शिक्षा नीति 2015 तैयार करने जा रही है। गांव, ब्लाक और जिला स्तर पर मंथन करने के बाद अब राज्य स्तर पर राय ली गई है। ऐसी राय हर राज्य से ली जा रही है। मुख्यमंत्री मनोहर लाल और शिक्षा मंत्री प्रो. रामबिलास शर्मा इस मंथन के दौरान मौजूद रहे। हरियाणा से आए सुझावों को अमल के लिए केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रलय के पास भेजा जाएगा, ताकि उन्हें राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया जा सके। 
शिक्षाविदों ने माना कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता उमदा नहीं है। स्कूलों का ढांचा भी विकसित किए जाने की जरूरत है। स्कूलों में शिक्षक पूरे नहीं हैं। जितने हैं, उनसे भी गैर शैक्षणिक काम लिए जाते हैं। जो बच्चे वंचित हैं, उनकी दिक्कतों को समझने के लिए सरकार ने कभी कोशिश नहीं की है। उनके मनोविज्ञान को पढ़ा जाना चाहिए ताकि आने वाले पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ सके। 1स्कूलों में ढांचागत एवं खेल सुविधाएं बढ़ाने के साथ-साथ पढ़ाई की क्वालिटी पर जोर देने का सुझाव आया, लेकिन यह तभी संभव होगा, जब शिक्षकों को माहौल और सुविधाएं मिलेंगी तथा उन पर काम का बोझ अधिक नहीं होगा। केंद्र मानव संसाधन विकास मंत्रलय के प्रतिनिधि अधिकारियों ने हरियाणा के प्रयासों की सराहना की। परामर्श के दौरान 13 बिंदुओं पर चर्चा की गई।
"हरियाणा शिक्षा सुधार पैनल के प्रमुख दीनानाथ बत्र प्रदेश सरकार के कहने पर छह किताबें लिख चुके। 28 सितंबर को यह किताबें हरियाणा स्टेट काउंसिल आफ रिसर्च एंड ट्रेनिंग को दी जाएगी। यानि दीनानाथ बत्र की लिखी किताबें अब हरियाणा के स्कूलों में पढ़ाई जाएंगी। यह उचित नहीं है। इन किताबों पर राय के लिए उन्हें पहले सार्वजनिक किया जाए। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि क्या राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय शिक्षा नीति तैयार करने के पीछे कोई षड्यंत्र काम नहीं कर रहा।"-- राजीव गोदारा, सचिव, स्वराज अभियान हरियाणा
"आजादी के 68 सालों में पहली बार नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए जनमानस की भागीदारी निचले स्तर पर आरंभ की गई। पहले सरकार दिल्ली में नीति निर्धारित कर गांव तक पहुंचती थी। इस बार शिक्षा नीति के लिए सुझाव ग्राम सभा से निकलकर शहरों को होते हुए दिल्ली पहुंचेंगे। -- मनोहर लाल, मुख्यमंत्री
"शिक्षा के व्यवसायीकरण व व्यापारीकरण के कारण सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरा है। शिक्षामंत्री के नाते पंडित दीन दयाल उपाध्याय की जयंती पर संकल्प ले रहा हूं कि हर दिन किसी न किसी स्कूल का दौरा अवश्य करूंगा। सरकारी स्कूलों मेंशिक्षा उपलब्ध कराने के लिए काम होगा।"-- प्रो. रामबिलास शर्मा, शिक्षा मंत्री
"शिक्षा नीति बनाने के लिए सुझाव के नाम पर भगवाकरण की तैयारी है। सरकार यदि सरकारी स्कूलों की हालत में सुधार करते हुए शिक्षकों की कमी पूरा कर दे तो समस्या हल हो जाए। भाजपा सांसद और विधायक सरकारी स्कूलों को गोद लेने की पहल करें।"-- नवीन जयहंिदू, राष्ट्रीय नेता, आप                                                                                      dj 

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