चंडीगढ़ : मनोहर सरकार डिजिटल इंडिया के तहत सरकारी विभागों में
ई-गवर्नेस लागू करने के लिए फूंक-फूंक कर कदम रख रही है। हरियाणा सचिवालय व
डीसी कार्यालयों में बायोमीटिक सिस्टम सफल रहने के बाद सरकार अब कॉलेजों
में इसे लागू करेगी।
उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने सभी
सरकारी कॉलेजों के प्रिंसिपल को स्टाफ की हाजिरी के लिए बायोमीटिक मशीनें
लगाने के निर्देश दिए हैं। पांच दिन में मशीनें खरीद कर सात दिन के भीतर
कर्मचारियों का डाटा इनमें डालना होगा। इसके बाद आधार कार्ड आधारित हाजिरी
दर्ज होने लगेगी।
अतिरिक्त मुख्य सचिव ने प्रत्येक प्रिंसिपल को कम से कम
दस बायोमीटिक मशीनें हाइट्रोन के जरिए खरीदने के लिए कहा है। मशीनें
वाई-फाई मॉडल की होना जरूरी हैं। मशीनों की खरीद सभी कॉलेज कंप्यूटर फंड से
करेंगे। प्रिंसिपल को डाटाबेस तैयार करने के साथ ही उपायुक्तों एवं एनआइसी
के जिला सूचना अधिकारी से भी संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं।
उपायुक्तों को पूरे टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ का डाटा मुहैया कराना
अनिवार्य है।
बायोमीटिक सिस्टम लागू करने के लिए पिं्रसिपल को तकनीकी
नोडल आफिसर नियुक्त करना होगा। उसका नाम, पद और ई-मेल आइडी मोबाइल नंबर
सहित एनआइसी में जमा कराना आवश्यक है। उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य
सचिव विजय वर्धन ने समयबद्ध तरीके से ये व्यवस्था लागू कर पहली अक्टूबर तक
रिपोर्ट मुख्यालय भेजने के निर्देश दिए हैं। मशीनों को खरीदने के बाद चालू
करने की सूचना हाइट्रोन को भी देनी होगी। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार
ने कॉलेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक स्टाफ को ड्यूटी के प्रति पाबंद
बनाने के लिए यह निर्णय लिया है। अभी देखने में आया है कि स्टाफ मनमाफिक
तरीके से अपनी सेवाएं दे रहा है।
कॉलेजों में कई बार देरी से पहुंचने के
बावजूद स्टाफ की हाजिरी समय पर रजिस्टर में दिखाई जाती है। इससे काम को समय
पर अंजाम देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कर्मचारी समय पर आएं
और जाएं इसलिए बायोमीटिक सिस्टम लागू किया जा रहा है। मालूम हो कि हरियाणा
विधानसभा के मानसून सत्र में भी बायोमीटिक सिस्टम पर सरकार और विपक्ष में
खूब बहस हुई थी। dj
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