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Tuesday, 7 November 2017

यूजीसी के एक आदेश से छिनी हजारों लेक्चरर की वेतनवृद्धि


हिसार : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के 5 साल पुराने एक पत्र ने देशभर के लाखों लेक्चरर की एक वेतनवृद्धि छीन ली, जिससे प्रत्येक लेक्चरर को 3 से 5 लाख रुपये का नुकसान हो चुका है, लेकिन अब नुकसान की भरपाई की लड़ाई शुरू हो गई है। यह लड़ाई शुरू की है भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) से रिटायर्ड प्रधान वैज्ञानिक प्रो. वीरेंद्र सिंह लाठर ने। यूजीसी सूत्रों की माने तो उस ‘गलत’ पत्र को संशोधित करके प्रदेश सरकारों को भेजा जाएगा ताकि लेक्चरर से छिना अधिकार उनको वापस मिल सके।
दरअसल, सरकारी कर्मचारियों सहित लेक्चरर को हर साल वेतनवृद्धि मिलती है। छठे वेतनमान से पहले यह वेतनवृद्धि कर्मचारी को तब मिलती थी, जब उसकी नियुक्ति को एक साल हो जाता था। लेकिन छठे वेतनमान में यह प्रावधान किया गया कि वार्षिक वेतनवृद्धि 1 जुलाई, 2006 से शुरू होगी। लेकिन जिनकी वेतनवृद्धि फरवरी से जून-2006 के लिए लंबित थी, उनको एक जनवरी, 2006 से एक अतिरिक्त वेतनवृद्धि देने का फैसला लिया गया। इसके लिए वित्त विभाग ने 19 मार्च, 2012 को मेमो जारी किया था। यही नियम हरियाणा में 6 अप्रैल, 2012 को आदेश जारी कर लागू कर दिया गया। लेकिन इन नियमों को जानबूझकर नजरअंदाज करते हुए यूजीसी की तत्कालीन अंडर सेक्रेटरी रीता गोयल ने पुराने नियमों को देखकर 20 नवंबर, 2013 को आदेश जारी किया कि उपरोक्त मेमो का प्रावधान यूजीसी विनियमन में नहीं है। लेकिन यूजीसी विनियमन में वेतनवृद्धि को संशोधित करने का प्रावधान पेज नंबर 85-86 में दिया हुआ है। इसके आधार पर अतिरिक्त वेतनवृद्धि नहीं मिली।
हकृवि और मदवि के अलावा किसी को नहीं मिला लाभ
इस अतिरिक्त वेतनवृद्धि का लाभ हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (हकृवि) ने अपनी बोर्ड आफ मैनेजमेंट की बैठक में पारित कर तुरंत दे दिया था। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने हकृवि के करीब 6 माह बाद यह आदेश दे दिया। कुरुक्षेत्र व अन्य विश्वविद्यालयों तथा निजी व सरकारी कॉलेज के लेक्चरर को यह अतिरिक्त वेतनवृद्धि नहीं मिली है।
ऐसे सामने आया मामला
दरअसल प्रो. वीरेंद्र सिंह लाठर हकृवि से 2015 में सेवानिवृत्त हो गए और फिर आईसीएआर में प्रधान वैज्ञानिक के पद पर नियुक्ति मिल गई। यहां से वे गत अप्रैल, 2017 में सेवानिवृत्त हुए। जब आईसीएआर ने इनकी 300 दिन की लीव इन्कैशमेंट के बारे में हकृवि से जानकारी मांगी तो यहां पर प्रदेश सरकार के अन्य विभाग से स्थानांतरित होकर आए एक ऑडिटर ने इनकी अतिरिक्त वेतनवृद्धि को ‘गलत’ बताया। साथ ही सभी लेक्चरर का वेतन फिर से निर्धारित करने के आदेश गत 13 सितंबर को जारी कर दिए। इस आदेश के खिलाफ वीरेंद्र लाठर ने लड़ाई शुरू कर दी। इन्होंने इसके लिए गत 25 अक्तूबर को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावडेकर, राज्य मंत्री डॉ. सत्यपाल सिंह, यूजीसी के चेयरमैन, हरियाणा के राज्यपाल और विवि के कुलपति को पत्र लिखा है।

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