नारनौल : प्रदेश में अतिथि अध्यापकों को नियमित किए जाने के बारे में पूछे
प्रश्न पर मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने कहा कि नौकरियों के मामले में बैकडोर
एंट्री स्वीकार्य नहीं है। अतिथि अध्यापकों को हम चाहकर भी नियमित नहीं कर
सकते। अदालती आदेशों का इस मामले में पालन किया जाएगा।
लोक निर्माण विभाग
विश्रमगृह के लॉन में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में महेंद्रगढ़ में आंदोलन कर
रहे अतिथि अध्यापकों के बारे में पूछे गए प्रश्न पर मुख्यमंत्री ने कहा कि
सरकार की इन शिक्षकों के साथ सहानुभूति है, लेकिन अदालत के फैसले का भी
पालन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की नियमित भर्ती में अतिथि
अध्यापकों को सरकार रियायत देगी। इसके लिए राज्य सरकार अनुभव में प्रतिवर्ष
के हिसाब से आधा अंक दे रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अतिथि अध्यापकों को
समायोजित करने के पूरे प्रयास कर रही है और काफी ऐसे शिक्षकों को समायोजित
किया जा चुका है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भाजपा की राज्य सरकार ने
शिक्षकों के तबादले में होने वाले बड़े भ्रष्टाचार को बंद करके पारदर्शी
तबादला नीति लागू की है। पहले शिक्षकों का काफी समय चंडीगढ़ जाकर मनचाहे
स्टेशन पर तबादला करवाने की जुगत में बीतता था। शिक्षामंत्री रामबिलास
शर्मा की तरफ इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि इनका कमरा हर समय तबादला
चाहने वाले शिक्षकों से भरा रहता था। अब ऐसी ऑनलाइन तबादला नीति बनाई गई
है, जिससे 93 प्रतिशत शिक्षकों को मनचाहा स्टेशन मिला है।
जिन कुछ
शिक्षकों को मनचाहा स्टेशन नहीं मिल पाया, वे भी सरकार की तबादला नीति से
संतुष्ट हैं। प्रदेश के मुखिया ने कहा कि पहली बार प्रदेश सरकार ने
नौकरियों में भ्रष्टाचार को पूरी तरह खत्म करने का प्रयास किया है।
नौकरियों के लिए होने वाले साक्षात्कार के अंकों को 20 से घटाकर 12 किया
गया है। इसके साथ ही साक्षात्कार खत्म होने वाले दिन ही परिणाम घोषित किया
जा रहा है ताकि इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं की जा सके। उन्होंने कहा
कि तृतीय और चतुर्थ श्रेणी नौकरियों के लिए सरकार ने साक्षात्कार को पूरी
तरह से खत्म कर दिया गया है। सरकार पारदर्शी तरीके से भर्तियां कर रही
है।
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