नई दिल्ली : स्कूली बच्चों को पढ़ाई के साथ मिलने वाले मिड-डे मील की राशि
बढ़ सकती है। केंद्र सरकार ने राज्यों की मांग को देखते हुए मिड-डे मील
योजना के तहत प्रति छात्र मिलने वाली राशि की जल्द समीक्षा करने के संकेत
दिए हैं। राज्यों ने यह मांग हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर
से मिड-डे मील को लेकर आयोजित कार्यशाला में उठाई। राज्यों ने खाद्य
सामग्री की बढ़ती कीमतों को देखते हुए प्रति छात्र मिलने वाली राशि को
बढ़ाने की मांग की। मिड-डे मील योजना के तहत अभी प्राइमरी स्तर पर प्रति
छात्र 4.58 रुपए और जूनियर स्तर पर प्रति छात्र 6.83 रुपए की राशि दी जाती
है।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय से जुड़े सूत्रों की मानें तो राज्यों की
ओर से एक और बड़ी मांग सामने आई है। वह योजना के दायरे में सरस्वती शिशु
मंदिर और विवेकानंद स्कूलों को भी शामिल करने की है। राज्यों का कहना है कि
इन स्कूलों में भी निम्न और मध्यम वर्ग के काफी बच्चे पढ़ते हैं, ऐसे में
मिड-डे मील योजना के दायरे में इन्हें भी लाया जाए। योजना के तहत अभी सिर्फ
सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को ही मिड-डे मील दिया जाता है। एक
आकलन के मुताबिक देश में मौजूदा समय में सरस्वती शिशु मंदिर और विवेकानंद
स्कूलों की संख्या भी हजारों में है। सूत्रों की मानें तो राज्यों ने इस
दौरान मिड-डे मील की दरों को बढ़ाने का मुद्दा प्रमुखता से रखा। लगभग सभी
राज्य ने इसका समर्थन किया। राज्यों ने इस दौरान खाद्य पदार्थो की बढ़ी हुई
कीमतों का पूरा ब्योरा दिया। इसमें बताया कि जब यह कीमतें तय की गईं थीं,
तब और आज की स्थिति में खाद्य सामग्री की कीमतें बढ़ गई हैं। ऐसे में
बच्चों को गुणवत्ता के साथ भोजन देने में दिक्कत हो रही है। राज्यों ने इस
दौरान खाना तैयार करने की लागत में बढ़ोतरी का भी आंकड़ा पेश किया। सूत्रों
की मानें तो राज्यों की ओर से दिए गए तर्कसंगत आंकड़ों को देखने के बाद
कार्यशाला में मौजूद मंत्रलय के अधिकारियों ने भी उनकी मांग पर सहमति जताई।
जल्द ही इसकी समीक्षा करने के भी संकेत दिए हैं।
स्कूली बच्चों के लिए
चलाई जाने वाली मिड-डे मील योजना को लेकर मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने
राज्यों के साथ दो समूहों में चर्चा की। इस दौरान पहले ग्रुप की बैठक 6 व 7
नवंबर को और दूसरे ग्रुप के राज्यों की बैठक 13 व 14 नवंबर को की थी।
मौजूदा समय में मिड-डे योजना के तहत देश के करीब 11.40 लाख स्कूलों में
करीब 9.78 करोड़ बच्चों को पढ़ाई के साथ दोपहर का भोजन दिया जा रहा है।
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