** ट्रेनिंग कोर्स चला रहे सभी संस्थानों पर लागू होंगे नियम
** राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण संशोधन बिल मंजूर, आगामी सत्र में होगा पेश
नई दिल्ली : शिक्षा में सुधार को लेकर शिद्दत से जुटी सरकार ने शिक्षकों को
दिए जाने वाले प्रशिक्षण में गुणात्मक सुधार को लेकर एक बड़ी पहल की है। इसके तहत कोई भी संस्थान अब मनमाने तरीके से टीचर्स ट्रेनिंग से जुड़े
कोर्स संचालित नहीं कर सकेगा। इसके लिए उन्हें एनसीटीई (नेशनल काउंसिल ऑफ
टीचर्स एजुकेशन) की अनुमति लेनी जरूरी होगी। फिलहाल इस दायरे में
विश्वविद्यालय सहित टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स चलाने वाले केंद्र व राज्य सरकार
से जुड़े सभी संस्थान शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की
अध्यक्षता में बुधवार को आयोजित कैबिनेट की बैठक में राष्ट्रीय शिक्षक
प्रशिक्षण से जुड़े इस संशोधन बिल को मंजूरी दी गई। इसे संसद के आने वाले
सत्र में पेश किया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रलय की ओर से कैबिनेट के
सामने पेश किए गए इस राष्ट्रीय शिक्षक प्रशिक्षण (संशोधन) बिल से एनसीटीई
को और ज्यादा अधिकार मिल जाएगा। इसके अलावा बगैर एनसीटीई की अनुमति के
टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स संचालित कर रहे संस्थानों को पिछली तारीखों से वैधता
देने का भी विकल्प दिया गया है, ताकि पहले पढ़ाई कर चुके और मौजूदा समय
में पढ़ाई कर रहे छात्रों के भविष्य पर इसका कोई असर न पड़े। हालांकि इसके
लिए ट्रेनिंग कोर्स संचालित कर रहे सभी संस्थानों को एनसीटीई के सामने
अनुमति के लिए आवेदन करना होगा। वहीं इस बिल को लाने से पहले ही एनसीटीई ने
देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और टीचर्स ट्रेनिंग देने वाले संस्थानों को
अनुमति लेने के भी निर्देश दिए थे।
बावजूद इसके देश के तमाम ऐसे
विश्वविद्यालय और संस्थान हैं, जिन्होंने अभी तक टीचर्स ट्रेनिंग कोर्सो की
अनुमति नहीं ली है। काउंसिल ने ऐसे सभी संस्थानों को एक और मौका देते हुए
उन्हें जल्द से जल्द इसकी अनुमति के लिए आवेदन करने को कहा है। मौजूदा समय
में टीचर्स ट्रेनिंग से जुड़े कोर्सो की संचालन देश भर में अलग-अलग स्तरों
पर किया जा रहा है। इनमें बीएड-डीएड जैसे कोर्सो का संचालन विश्वविद्यालय
कर रहे है, जबकि बीटीसी जैसे कोर्सो का संचालन राज्य सरकार द्वारा जिला
स्तर पर किया जा रहा है। बदलाव के तहत इन सभी को एनसीटीई से अनुमति लेनी
होगी।
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