नई दिल्ली : उच्च शिक्षा की गुणवत्ता को बेहतर बनाने में जुटी सरकार ने
फिलहाल तय मानकों को पूरा न करने वाले कॉलेजों पर ताला लगाने का फैसला लिया
है। मानव संसाधन विकास मंत्रलय ने इसे लेकर देश भर के सभी कॉलेजों की जांच
के निर्देश दिए है। मंत्रलय के पास हालांकि पहले से ही तय मानकों को पूरा
किए बगैर संचालित हो रहे ऐसे कॉलेजों को लेकर ढेरों शिकायत लंबित है। इनमें
ज्यादातर ऐसे मामले है जिनमें राज्य सरकारों की ओर कोई जवाब ही नहीं दिया
गया। मंत्रलय ने हाल ही इन शिकायतों के आधार पर कॉलेजों की जांच शुरू की,
तो और भी कई चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। हजारों ऐसे कॉलेज हैं, जहां
पर्याप्त शिक्षक तो दूर छात्रों के बैठने के लिए कमरे भी नहीं हैं। देश में
मौजूदा समय में वैसे भी करीब 40 हजार कॉलेज संचालित हो रहे हैं। इनमें
सबसे अधिक कॉलेज उत्तर प्रदेश में हैं।
"हमने देश भर के सभी कालेजों की जांच
कराने के निर्देश दिए है। तय मानकों पर खरे न उतरने वाले कालेजों पर ताला
लगेगा। हमने करीब 400 बीएड कालेजों को तय मानकों पर खरे न पाए जाने पर बंद
करने की प्रक्रिया शुरू की है।"-- डॉ. सत्यपाल सिंह केंद्रीय मानव संसाधन
राज्य मंत्री
एक तरह की दुकानों में तब्दील हो गए उच्च शिक्षा संस्थानों के
खिलाफ सख्ती की ही जानी चाहिए, लेकिन बेहतर होगा कि उन्हें बंद करने के साथ
ही सुधारने पर भी ध्यान दिया जाए। यह तब संभव होगा जब गड़बड़ी करने वाले
शिक्षा संस्थानों को जवाबदेह बनाने के साथ उनकी सतत निगरानी की कोई ठोस
व्यवस्था बनेगी। अभी कोई सक्षम तंत्र न राज्यों के स्तर पर दिखता है और न
ही केंद्र के स्तर पर जो छल कर रहे निजी शिक्षा संस्थानों की नकेल कस सके।
यदि उच्च शिक्षा संस्थान बिना मानकों के चल रहे हैं तो इसका अर्थ है कि
उनकी उस तंत्र से घालमेल है जिन पर मानक लागू कराने की जिम्मेदारी है। आखिर
ऐसे संस्थान खुल ही कैसे गए जो मानक पूरा नहीं करते।
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