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Wednesday, 15 November 2017

भंवर में ‘अतिथि’, नौकरी छूटी तो कैसे ब्याहेंगे बेटी

चंडीगढ़ : दस साल से नौकरी बचाने की जिद्दोजहद में लगे अतिथि अध्यापकों ने अदालती आदेशों के बाद नए सिरे से रणनीति बनानी शुरू कर दी है। दो सप्ताह से 11 मंत्रियों के आवासों के आगे धरने पर बैठे अतिथि अध्यापक समर्थन जुटाने के लिए अब सोशल मीडिया पर अपना दर्द बयां कर रहे हैं। साथ ही पहली दिसंबर से दिल्ली के रामलीला ग्राउंड में आमरण अनशन की तैयारी में है। 
प्रदेश में करीब 12 हजार गेस्ट टीचर सेवाएं दे रहे हैं। उम्रदराज हो रहे इन गेस्ट टीचरों में से कई की बेटियां शादी के लायक हो चुकी है तो किसी के बेटे बड़ी कक्षाओं में पढ़ रहे हैं। इन्हें समझ नहीं आ रहा कि जिंदगी के इस मोड़ पर नौकरी गई तो परिवार का बोझ कैसे उठाएंगे। पिछले साल सरकारी स्कूलों में चार लाख बच्चे कम होने का हवाला देते हुए 3581 अतिथि अध्यापकों को सरप्लस घोषित कर घर भेज दिया गया था। हालांकि आठ महीने बाद इन्हें वापस ले लिया गया। पिछले दिनों नौ हजार से अधिक जेबीटी शिक्षकों की नियुक्ति के बाद 1200 अतिथि अध्यापकों को निकाल दिया गया। हरियाणा अतिथि अध्यापक संघ के प्रदेशाध्यक्ष राजेंद्र शर्मा शास्त्री और प्रदेश प्रवक्ता धर्मबीर कौशिक ने कहा कि हजारों गेस्ट टीचर धरने के दौरान सर्द रातें खुले में गुजारने को मजबूर हैं। सरकार अतिथि अध्यापकों को इस भंवर से बाहर निकालने के लिए चुनाव से पहले किया वादा पूरा करे। बता दें कि सरकारी स्कूलों में वर्ष 2005-06 में शिक्षकों की कमी दूर करने के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने एक साल के लिए 15,698 अतिथि अध्यापकों की भर्ती की थी।

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