गुरुग्राम : पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के को-चेयरमैन वरिष्ठ अधिवक्ता
जोगिंद्र माहेश्वरी का मानना है कि देश के भीतर स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम को
बेहतर बनाने के लिए स्कूलों से संबंधित सभी मामलों (आपराधिक मामलों को
छोड़कर) को एजुकेशनल ट्रिब्यूनल के दायरे में लाना होगा। इससे न केवल
व्यवस्था बेहतर करने का दवाब स्कूलों के ऊपर होगा बल्कि तेजी से व्यवस्था
में सुधार होगा। प्रद्युम्न हत्याकांड के बाद इस विषय पर ध्यान देना बेहद
जरूरी महसूस हो रहा है।
वरिष्ठ
अधिवक्ता जो¨गद्र माहेश्वरी ने कहा : एजुकेशनल ट्रिब्यूनल की जिम्मेदारी
जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पास है। फिलहाल ट्रिब्यूनल के दायरे में केवल
प्रबंधन-शिक्षक के बीच के मामले हैं। जब तक व्यवस्था से संबंधित मामले भी
ट्रिब्यूनल के पास नहीं आएंगे, तब तक बात नहीं बनेगी। स्कूल अपनी मर्जी से
फीस बढ़ा देते हैं। अधिकांश स्कूलों में जो सुविधाएं होनी चाहिए, उन पर
गंभीरता से ध्यान नहीं दिया जाता। सुरक्षा के नाम पर खानापूर्ति की जा रही
है। जब रेयान इंटरनेशनल स्कूल में सुविधाओं के नाम पर खानापूर्ति की शिकायत
सामने आ चुकी है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि छोटे स्कूलों में क्या
स्थिति है।
अभिभावकों का पक्ष होगा मजबूत :
व्यवस्था में खामियों के खिलाफ
अभिभावक आवाज उठाते हैं लेकिन प्रबंधन दबा देता है। अभिभावक डर जाते हैं।
जब ट्रिब्यूनल के पास स्कूलों की व्यवस्था से संबंधित सभी मामले आ जाएंगे
फिर स्कूलों के ऊपर शिकंजा कसना शुरू हो जाएगा। दायरे में आने के बाद
अभिभावक सीधे ट्रिब्यूनल में शिकायत कर सकेंगे। ट्रिब्यूनल में किसी भी
मामले का निपटारा कम से कम समय में होता है।
काउंसिल की बैठक में रखा
जाएगा प्रस्ताव :
इस विषय को पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल की बैठक में
रखा जाएगा। जब एक से दो राज्यों में ऐसा प्रावधान हो जाएगा फिर सभी राज्य
भी इसी रास्ते पर आएंगे। स्कूल मैनेजमेंट सिस्टम को यदि ठीक करना है तो
स्कूलों से संबंधित मामले एजुकेशन ट्रिब्यूनल में लाना ही होगा। आज स्कूल
मैनेजमेंट सिस्टम लगभग ध्वस्त हो चुका है।
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