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Tuesday, 17 September 2013

परीक्षार्थियों पर 67 दिन की तैयारी में अच्छे परिणाम का रहेगा दबाव


**मैट्रिक का शेड्यूल जारी, किताबें नहीं पहुंचने से परीक्षा की तैयारी के लिए नहीं मिला 115 दिन का समय 
**परीक्षार्थियों पर 67 दिन की तैयारी में अच्छे परिणाम का रहेगा दबाव 
भिवानी : पाठ्य पुस्तकों के समय पर नहीं पहुंचने का खामियाजा इस बार मैट्रिक के परीक्षार्थियों को प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में उठाना पड़ेगा। बच्चों को अधूरी तैयारी के ही परीक्षा देनी होगी। परीक्षा की तैयारी के लिए बच्चों को केवल 67 दिन का समय मिला है, जबकि अमूमन एक सेमेस्टर की बेहतर तैयारी के लिए 115 दिन का समय मिलना चाहिए। ऐसे में अच्छे परीक्षा परिणाम की कैसे उम्मीद रख पाएंगे। 
बोर्ड ने मैट्रिक परीक्षा का शेड्यूल जारी कर दिया है। मैट्रिक प्रथम सेमेस्टर की परीक्षाएं 27 सितंबर से शुरू हो रही हैं, जबकि दोहराई तो दूर अभी तक कुछ स्कूलों में पाठ्यक्रम ही पूरा नहीं किया जा सका है। इस बार मैट्रिक प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा का संचालन स्कूल ही करेंगे और परिणाम भी स्कूल के शिक्षक ही तैयार करेंगे। बोर्ड का कार्य डेटशीट, उत्तर पुस्तिका व प्रश्नपत्र भेजने तक रहेगा। बोर्ड की डेटशीट जारी होने से बच्चे ही नहीं स्कूल शिक्षक भी परेशान हैं। शिक्षकों को कहना है कि वे इतने कम समय में बच्चों की पढ़ाई कैसे पूरी करवा पाएंगे। 
इस बार शिक्षा विभाग ने अध्ययन जल्दी शुरू करवाने के लिए परीक्षा परिणाम 31 के बजाय 24 मार्च को घोषित कर दिया गया था। 25 मार्च से कक्षाएं शुरू कर दी गई थी। विभाग ने कक्षाएं तो पहले शुरू कर दीं, लेकिन पुस्तकें तैयार नहीं थीं। बिना पाठ्य पुस्तकों के ही सुबह आठ से ढाई बजे तक बच्चों को कक्षाओं में बैठाया गया। 
किताबों की कमी को छिपाने के लिए विभाग ने कक्षा तत्परता कार्यक्रम चलाया। विभाग ने स्पेशल आदेश देकर शिक्षकों को कहा कि वे कक्षाओं में विषय के अतिरिक्त अन्य कुछ भी पढ़ाएं। यह कार्यक्रम 24 मई तक चला। मई के अंतिम सप्ताह तक भी पुस्तकें बच्चों को उपलब्ध नहीं हो पाई थीं। हरियाणा राजकीय अध्यापक संबंधित हरियाणा महासंघ के प्रांतीय कोषाध्यक्ष संजीव मंदौला व जयबीर नाफरिया ने बताया कि सरकार ने पुस्तकों की कमी के चलते कक्षा तत्परता कार्यक्रम चलाया, जिसका कोई फायदा नहीं हुआ। स्कूलों में एक अप्रैल से पहले ही किताबें पहुंच जानी चाहिए ताकि एक अप्रैल से कक्षाएं सही तरह से शुरू की जा सके। 
बोर्ड भी सीबीएसई की तरह शीघ्र परीक्षा परिणाम जारी करे ताकि अगले सेमेस्टर की परीक्षा सही समय पर शुरू हो सके। उन्होंने बताया कि इस का प्रभाव अन्य कक्षाओं पर भी पड़ेगा। 
परीक्षाॢथयों के संशय और पुनर्मूल्यांकन के झंझट को खत्म करने के मद्देनजर शिक्षा बोर्ड ने अब स्कूलों में ही शिक्षकों द्वारा 10वीं की उत्तरपुस्तिकाओं की जांच कराने का फैसला लिया है। इसके चलते परीक्षाॢथयों को अब तक मिल रही पुनर्मूल्यांकन की सुविधा इस बार नहीं दी जाएगी। परीक्षाॢथयों का निरीक्षण से संबंधित संशय को खत्म करने के लिए ही बोर्ड ने यह निर्णय लिया है। इसके तहत प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा में पुनर्मूल्यांकन नहीं सिर्फ पुन: जांच ही करा सकते हैं। 
परीक्षार्थियों पर 67 दिन की तैयारी में अच्छे परिणाम का रहेगा दबाव 
प्राइवेट स्कूल के शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने तो किसी न किसी तरह से पढ़ाई पहले से ही शुरू करवा दी थी, लेकिन सरकारी स्कूलों में इसका असर पड़ेगा। शिक्षक संदीप भारतीय ने बताया कि शिक्षा विभाग ने भी 115 दिन का समय पाठ्यक्रम की बेहतर तैयारी के लिए निर्धारित किया हुआ है। 67 दिन की तैयारी में आप कैसे अच्छे परिणाम ी कल्पना कर सकते हैं। 
एक जुलाई से शुरू हो पाई पढ़ाई
बच्चों की वास्तविक पढ़ाई एक जुलाई से शुरू हो पाई। इस तरह से जुलाई माह में 25, अगस्त में 22 तथा सितंबर माह में 20 कार्य दिवस यानि की पढ़ाई कुल 67 कार्य दिवस हो पाई या पाएगी। पाठ्यक्रम को देखते हुए शिक्षा विभाग ने प्रथम सेमेस्टर के लिए 115 कार्यदिवस अनिवार्य किए हुए हैं। पाठ्यक्रम तो शिक्षकों ने जैसे-तैसे पूरा करवा दिया, लेकिन दोहराई नहीं हो सकी। ....db




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