चंडीगढ़ : हरियाणा स्कूल टीचर्स सेलेक्शन बोर्ड के गठन को खारिज करने की मांग संबंधी जनहित याचिका पर मंगलवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। हाईकोर्ट ने इससे पहले कहा था कि एक तरफ हरियाणा लोक सेवा आयोग के सदस्यों की संख्या 13 से कम कर 7 कर दी गई है। वहीं दूसरी तरफ आयोग का कार्यभार कम करने के लिए हरियाणा स्कूल टीचर्स सेलेक्शन बोर्ड के गठन की बात की गई। ऐसे में बोर्ड के अलग से गठन की क्या आवश्यकता रही।
पिंजौर निवासी विजय कुमार बंसल की तरफ से याचिका दायर कर बोर्ड को खारिज करने की मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि बोर्ड का गठन अनुचित ढंग से किया गया है। ऐसे में बोर्ड द्वारा किए जाने वाले सभी सेलेक्शन पर रोक लगाई जाए। याचिका में कहा गया कि बोर्ड के चेयरमैन नंद लाल पूनिया मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुडा के करीबी रिश्तेदार हैं। इसके अलावा बोर्ड के सदस्य जगदीश प्रसाद मुख्य संसदीय सचिव राव दान सिंह के भाई हैं। एक अन्य सदस्य त्रिभुवन प्रसाद बोस मुख्यमंत्री के बेटे के शिक्षक रहे हैं। याचिका में कहा गया कि चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए नियमों को ताक पर बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की रिटायरमेंट आयु को 72 वर्ष कर दिया गया। हाईकोर्ट ने इस मामले में पहले भी कहा था कि रिटायरमेंट आयु 60 से बढ़ाकर 70 और फिर आगे 72 किए जाने का कोई कारण नहीं दिया गया।
ऐसे में यह मनमाना फैसला है
याचिका में बोर्ड के चेयरमैन व सदस्यों की नियुक्ति करने वाले पैनल पर सवाल उठाते हुए कहा गया कि नियुक्ति करने वालों में हरियाणा की उस समय मुख्य सचिव उर्वशी गुलाटी शामिल हैं। जिन्हें बाद में राज्य सूचना आयुक्त बना दिया गया था। इसके अलावा शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव व कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर डीपीएस संधू शामिल रहे जो मुख्यमंत्री के सहपाठी रहे हैं। ऐसे में सही चयन की उम्मीद करना संभव नहीं हो सकता।
20 हजार नियुक्तियां अधर में लटकी
याचिका में कहा गया कि बोर्ड मौजूदा समय में 20 हजार शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया से जुड़ा हुआ है। नियुक्तियों में पारदर्शिता के लिए जरूरी होगा कि बोर्ड को खारिज कर हरियाणा लोक सेवा आयोग के जरिए उक्त भर्तियां कराई जाएं। इस पर हाईकोर्ट ने इन नियुक्तियों के परिणाम घोषित करने पर रोक लगाने के निर्देश दिए थे।......db
फैसला आने में लग सकता है समय
हाई कोर्ट किसी केस पर फैसला सुरक्षित रखता है तो समय की कोई सीमा नहीं होती। कुछ मामलों में अगले दिन भी फैसला सुनाया जा सकता है तो कुछ में महीने भी लग सकते है। इस मामले में कोर्ट का फैसला टीचर भर्ती को एक नया मोड़ देगा। अगर याचिका खारिज कर दी जाती है तो पंद्रह हजार से ज्यादा टीचरों की भर्ती प्रकिया चलती रहेगी और उन्हें नियुक्ति मिलनी शुरू हो जाएगी। इसका सबसे ज्यादा असर गेस्ट टीचरों पर पड़ेगा क्योंकि इससे उनकी छुट्टी तय है। वहीं, अगर हाई कोर्ट याचिका को स्वीकार कर लेता है तो टीचर भर्ती बोर्ड रद हो जाएगा और इसके द्वारा की गई सभी नियुक्तियां गैरकानूनी मानी जाएंगी। इससे सरकार को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। हालांकि दोनों ही पक्ष अपने खिलाफ फैसला आने पर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेने की तैयारी में हैं।....dj
फैसला आने में लग सकता है समय
हाई कोर्ट किसी केस पर फैसला सुरक्षित रखता है तो समय की कोई सीमा नहीं होती। कुछ मामलों में अगले दिन भी फैसला सुनाया जा सकता है तो कुछ में महीने भी लग सकते है। इस मामले में कोर्ट का फैसला टीचर भर्ती को एक नया मोड़ देगा। अगर याचिका खारिज कर दी जाती है तो पंद्रह हजार से ज्यादा टीचरों की भर्ती प्रकिया चलती रहेगी और उन्हें नियुक्ति मिलनी शुरू हो जाएगी। इसका सबसे ज्यादा असर गेस्ट टीचरों पर पड़ेगा क्योंकि इससे उनकी छुट्टी तय है। वहीं, अगर हाई कोर्ट याचिका को स्वीकार कर लेता है तो टीचर भर्ती बोर्ड रद हो जाएगा और इसके द्वारा की गई सभी नियुक्तियां गैरकानूनी मानी जाएंगी। इससे सरकार को नए सिरे से भर्ती प्रक्रिया शुरू करनी पड़ेगी। हालांकि दोनों ही पक्ष अपने खिलाफ फैसला आने पर सुप्रीम कोर्ट की शरण लेने की तैयारी में हैं।....dj
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