गुड़गांव : बेरोजगार कला अध्यापक समिति के पदाधिकारियों ने सेक्टर 10 में बैठक कर सरकार के द्वारा ड्राइंग टीचरों की भर्ती के लिए प्रदेश सरकार द्वारा बीएफए और बीएड जैसी योग्यता तय करने को गलत ठहराया। आर्ट एंड क्राफ्ट डिप्लोमा धारकों ने इस बैठक में तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा कि शिक्षा के ऊपर कला नहीं, बल्कि कला के ऊपर शिक्षा आधारित है।
आर्ट एंड क्राफ्ट डिप्लोमा धारकों का तर्क है कि बच्चों को सबसे पहले चित्र के द्वारा पढ़ने की शिक्षा दी जाती है। जो बच्चों की पढ़ाई को रोचक बनाती है। डिप्लोमा धारकों ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा 11 जुलाई 2012 को नई नियमावली लागू होने के बाद देश के ऐसे 15 हजार डिप्लोमा धारकों का भविष्य खतरे में पड़ गया है। वे बताते हैं कि जो डिप्लोमा धारक वर्ष 2006 के दौरान डिप्लोमा लेकर स्कूलों में पढ़ा रहे हैं, उनके लिए तीन वर्ष का और डिप्लोमा लेना मुश्किल है। ऐसे में नए नियम इन डिप्लोमा होल्डरों पर लागू नहीं करने चाहिए। इतनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उनकी उम्र नहीं बचेगी कि स्कूलों में ड्राइंग टीचर की भर्ती में शामिल हो सकें। उनका कहना है कि जिस तरह से सीबीएसई बोर्ड व देश के केंद्रीय विद्यालयों में ड्राइंग विषय को अनिवार्य किया गया है। उसी तर्ज पर हरियाणा के सरकारी स्कूलों में पहली से बारहवीं तक कला विषय को सभी निजी व सरकारी स्कूलों में लागू किया जाए।
समिति के प्रदेश अध्यक्ष प्रदीप रानीला ने बताया कि समिति प्रदेश के मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री से मिलकर मांगों को उनके समक्ष रख चुकी है, लेकिन इनसे कोरा आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला। इसलिए 21 सितंबर को झज्जर पहुंचकर शिक्षा मंत्री के आवास का घेराव करने का निर्णय लिया गया है। मांगों के समर्थन में प्रदेश के डिप्लोमा धारक धरना पर भी बैठेंगे। ...dj
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