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Friday, 6 September 2013

राज्यपाल से अपात्रों को भी करवा दिया सम्मानित

**सम्मानित होने वालों में चार शिक्षाकर्मी शिक्षा विभाग की पॉलिसी के अनुसार चयन के हकदार ही नहीं 
**इस साल प्रावधान में कुछ बदलाव किए : सुमेधा कटारिया 
**नोडल अधिकारी ने कहा-सभी लोगों का चयन नई नीति के तहत किया गया 
चंडीगढ़ : राज्यपाल जगन्नाथ पहाडिय़ा और मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्टï उपलब्धियों के लिए गुरुवार को यहां राजभवन में शिक्षा दिवस पर 46 शिक्षकों को सम्मानित किया। इनमें से हर शिक्षक को 21 हजार रुपए नकद, सिल्वर मेडल, शॉल और प्रमाण-पत्र दिया गया। इसके अलावा उन्हें दो इंक्रीमेंट और 58 वर्ष की आयु के बाद सर्विस में दो साल का सेवा विस्तार भी दिया जाएगा। इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा पर विशेष ध्यान दे रही हैं। ऐसे में प्रदेश को एजुकेशन हब के रूप में विकसित करने की जिम्मेदारी शिक्षकों के कंधों पर है। मुख्यमंत्री ने शिक्षक वर्ग से शिक्षा में गुणात्मक बदलाव लाने की जिम्मेदारी उठाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि शिक्षक बच्चों में नैतिक मूल्यों पर आधारित ऐसी गुणात्मक शिक्षा का संचार करें, जिससे वे संवेदनशील बनें।
शिक्षक दिवस पर हरियाणा सरकार ने राज्यपाल के हाथों चार ऐसे शिक्षाकर्मियों को भी सम्मानित करवा दिया जो शिक्षा विभाग की नीति के अनुसार इसके हकदार ही नहीं थे। जुलाई-2013 में ही जारी शिक्षक पुरस्कार पात्रता नियमों के अनुसार तो ये शिक्षक सम्मान के लिए आवेदन करने के योग्य ही नहीं थे। शिक्षा विभाग अब अपनी इस गफलत पर पर्दा डालने की कोशिश कर रहा है। 
इस बारे में शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल का कहना है कि अभी इन लोगों को केवल अच्छा काम करने के लिए सम्मानित किया गया है। इन्हें पुरस्कार की किस श्रेणी में रखा जाना है, यह अभी तय होना है। साथ ही इन्हें पुरस्कार स्वरूप शिक्षकों को मिलने वाला पैकेज दिए जाने पर भी कोई फैसला नहीं हुआ है। उधर शिक्षा विभाग की प्रिंसिपल सेक्रेटरी सुरीना राजन ने इस मामले से खुद को पूरी तरह अलग कर लिया है। वे कहती हैं कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है और इस मुद्दे पर जवाब नोडल अधिकारी सुमेधा कटारिया ही दे सकती हैं। 
नोडल अधिकारी सुमेधा कटारिया का दावा है कि सभी लोगों का चयन नई नीति के तहत किया गया है। हालांकि यह नई नीति कब जारी हुई? उसमें क्या प्रावधान है? इसका प्रचार-प्रसार कहां हुआ? जैसे सवालों पर कटारिया खामोश हैं। वे केवल इतना ही कहती हैं कि चयनित पात्र लोगों की सूची सरकार से मंजूर होकर आई है।
शिक्षक सम्मान का क्राइटेरिया 
शिक्षा विभाग ने जो मापदंड तय किए उनमें बेहतर परिणाम के 30 अंक रखे गए हैं। शिक्षा में इनोवेशन के 20 अंक है। पुरस्कार की पात्रता के लिए कुल 100 अंक तय किए गए हैं। कम से कम 70 अंक वाला ही इस सम्मान के लिए आवेदन कर सकता है। विभाग को इस बार सम्मान के लिए कुल 98 आवेदन मिले थे। 
सिर्फ टीचिंग से जुड़े अध्यापक कर सकते हैं अप्लाई 
स्कूल शिक्षा निदेशालय की ओर से 5 जुलाई, 2013 को जारी मीमो (नंबर 20/1-2013-सीओ(1) के अनुसार, शिक्षक पुरस्कार के लिए शिक्षा विभाग का प्रशासनिक अधिकारी, निदेशक, स्टाफ, एससीईआरटी, डीइओ, डीआईईटी और उनका स्टाफ आवेदन नहीं कर सकता। शिक्षक सम्मान के लिए आवेदक को टीचिंग का 15 साल का अनुभव होना चाहिए। इसके उलट गुरुवार को जिनचार अपात्र लोगों को सम्मानित किया गया, वे इनमें से किसी मापदंड को पूरा नहीं करते। इनमें प्रताप सिंह और नंदकिशोर एससीईआरटी में काम करते हैं जबकि बालकृष्ण व प्रमोद कुमार भी टीचिंग का काम नहीं करते। इसके बावजूद चारों को यह सम्मान दिया गया। प्रमोद कुमार तो शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई)में काम कर रहे हैं। ऐसे में सवाल यह उठ रहे हैं कि जब इन्होंने पढ़ाया ही नहीं हैं, तो
फिर सम्मान के लिए चयन क्यों किया गया। 
इस सम्मान के मायने कई है। जिसे भी यह सम्मान मिलेगा उन्हें 58 साल की सर्विस के बाद 2 साल की एक्टेंशन मिलेगी। इसके अलावा दो इंक्रीमेंट भी मिलेगी। इसी कारण सम्मान के लिए इतनी जोड़-तोड़ लगाई जाती है। ....db


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