हिसार : अब दसवीं कक्षा के परीक्षार्थी पुनर्मूल्यांकन नहीं करा सकेंगे। इसके पीछे शिक्षा बोर्ड का तर्क यह है कि पहले सेमेस्टर की परीक्षा स्कूलों में ही होगी और उस स्कूल के शिक्षक ही उन्हें चेक करेंगे। अब किसी स्कूल के शिक्षक अपने ही स्कूल के विद्यार्थी की खराब मार्किंग क्यों करेंगे। इस कारण उन्होंने पुनर्मूल्यांकन का झंझट ही खत्म कर दिया है।
पहले सेमेस्टर की परीक्षा में परीक्षार्थी सिर्फ पुन: जांच ही करा सकेंगे। पुनर्मूल्यांकन की सुविधा इस बार उपलब्ध नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि पुनर्मूल्यांकन में परीक्षार्थी का पेपर किसी दूसरे शिक्षक द्वारा दोबारा से चेक किया जाता है और उसकी मार्किंग की जाती है। अगर दोबारा मार्किंग करने पर परीक्षार्थी के नंबर बढ़ते हैं, तो वही नंबर माने जाएंगे। उधर पुन: जांच में सिर्फ यही चैक किया जाता है कि सभी उत्तरों के माक्र्स दिए गए हैं या नहीं और उनका जोड़ सही है या नहीं।
इससे पहले की परीक्षाओं में परीक्षार्थियों द्वारा कराए गए पुनर्मूल्यांकन में उनके किसी विषय में 70 फीसदी तक अंक बढ़े हैं। यह आंकड़ा दहाई या सैकडों में नहीं, बल्कि हजारों में रहा है। किसी विषय में पुनर्मूल्यांकन कराने के लिए परीक्षार्थी को एक हजार रुपये फीस भी भरनी पड़ती थी। इस बार उनका यह खर्च भी बच जाएगा। ....db
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