** शिक्षक ने उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद तेलंगाना से 1996-98 वन सिटिंग स्नातक और 1995-97 में जेबीटी (डीएड) की डिग्री ली
** आरटीआइ में खुलासा
अंबाला : गुरुजी एक साथ दो डिग्री कर एसएस मास्टर बन गए, खुलासा होने के
बावजूद प्रदेश के मौलिक शिक्षा निदेशक चुप्पी साधे हैं। राज्य शैक्षिक
अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीइआरटी) निदेशक ने जेबीटी (डीएड) के साथ
अन्य किसी डिग्री या कोर्स पर प्रतिबंध लगा रखा है।
मामला सीएम ¨वडो तक
पहुंचने के बाद शिक्षा विभाग ने जांच तो बिठाई, लेकिन बाद में जांच रिपोर्ट
ही दबा दी। खंड शिक्षा अधिकारी नारायणगढ़ ने 3 मई 2016 को जांच रिपोर्ट
में स्पष्ट है कि डीएड कोर्स रेगुलर कोर्स है, इसके साथ अन्य कोर्स वैध
नहीं।
नारायणगढ़ के सुनील पराशर ने आरटीआइ के तहत शिक्षक मनीष मित्तल के
संबंध में जानकारियां जुटाई और फिर पदोन्नति को चुनौती दी। मित्तल ने
शैक्षिक सत्र 1995-97 में डीआइईटी मोहड़ा (अंबाला) से डीएड (नियमित) की थी
और इस कोर्स के साथ ही उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद तेलंगाना से 1996-98
वन सिटिंग स्नातक की डिग्री भी हासिल की। शिक्षा विभाग ने उस्मानिया
यूनिवर्सिटी हैदराबाद तेलंगाना की वन सिटिंग स्नातक डिग्री के आधार पर
मित्तल को एसएस मास्टर की प्रमोशन दे दी। पराशर ने एससीईआरटी गुड़गांव
निदेशक से जानकारी ली, जिसमें 8 मार्च 2016 ने कहा कि डीएड के साथ स्नातक
अथवा अन्य कोर्स को नियमित/पत्रचार/ प्राइवेट माध्यम अभ्यर्थी के तौर पर
करने को अवैध माना जाएगा। इसी प्रकार उस्मानिया यूनिवर्सिटी हैदराबाद से वन
सिटिंग स्नातक की डिग्री की 1996-98 में करने की जानकारी सूचना अधिकार के
तहत ली गई। दोनों के आधार पर तय हो गया कि एक ही समय दो डिग्रियां की गई
हैं। 4 मई 2016 को खंड शिक्षा अधिकारी नारायणगढ़ ने जांच पूरी कर जिला
मौलिक शिक्षा अधिकारी को सौंप दी। निदेशक मौलिक शिक्षा ने 10 मई 2016 को
जांच रिपोर्ट वापिस जिला मौलिक शिक्षा के पास भेज दी और संबंधित शाखा से
अप्रूवल लेकर एटीआर (एक्शन टेकन रिपोर्ट) बिना देरी के भेजना को कहा जबकि
जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी ने पहले ही निदेशक मौलिक शिक्षा को लिख चुके थे
कि कार्रवाई के लिए वे ही सक्षम अधिकारी हैं। dj
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