अंबाला : स्कूलों में गिरते नतीजों को सुधारने के लिए प्रदेश सरकार की ओर से
एक बार फिर नया कदम उठाया जा रहा है। शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रदेशभर के
सरकारी स्कूलों में ठप पड़े एजुसेट सिस्टम की सुध लेने की सोची है।
निदेशालय की ओर से सभी जिलों के जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) और जिला मौलिक
अधिकारी को इस बाबत एक पत्र भी जारी किया गया है। ऐसे में सभी अधिकारियों
को अपने-अपने जिले और खंडों में बने सरकारी स्कूलों में ठप पड़े और चल रहे
एजुसेट सिस्टमों की मौजूदा स्थिति की पूरी जानकारी 31 जुलाई से पहले
निदेशालय को भेजनी है। साथ ही उस रिपोर्ट को स्कूल के ¨प्रसिपल और गांव की
पंचायत की ओर से तसदीक किया जाएगा। इसके बाद ही रिपोर्ट जिला अधिकारी के
माध्यम से निदेशालय में भेजी जाएगी।
दरअसल प्रदेशभर के अधिकतर सरकारी
स्कूलों में विद्याíथयों को पढ़ाई में आगे बढ़ाने और प्रदेशभर के बच्चों को
एक साथ एक ही विषय पर जानकारी देने के लिए एजुसेट सिस्टम का सालों में
शुभारंभ किया गया था। लेकिन सालों से स्कूलों में यह सिस्टम ठप पड़े है। इस
सिस्टम के ठप होने से इसका सीधा खामियाजा प्रदेशभर के बच्चों को भुगतना
पड़ रहा था। हालात तो इस कदर बदतर है कि जब कभी राज्यस्तरीय और केंद्र
सरकार की ओर से किसी कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है तो स्कूलों में
शिक्षकों को उधार के एजुसेट मंगाकर काम चलाना पड़ता है। इसका उदाहरण पिछले
दो साल में स्कूलों में देखा भी जा चुका है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
का कार्यक्रम स्कूलों में एजुसेट पर लाइव दिखाया जाना था। ऐसे में कुछ दिन
पूर्व 13 जुलाई को चंडीगढ़ में पब्लिक अकाउंट कमेटी की मीटिंग रखी गई थी
जिसमें सभी स्कूलों और इंस्टीच्यूट में लगे एजुसेट की जानकारी मांगी गई थी।
"अधिकतर सरकारी स्कूलों में यह सिस्टम खराब पड़े है। सरकार की ओर से इनकी
कभी सुध ही नहीं ली गई है। अब निदेशालय की ओर से एक रिपोर्ट मांगी गई है जो
निदेशालय को भेजी जानी है।"-- अशोक कुमार सैनी, जिला सचिव, हरियाणा
विद्यालय संघ।
"स्कूल में दो दिन पूर्व ही पत्र आया है जिसमें एजुसेट
सिस्टमों बारे रिपोर्ट मांगी गई है। गांव के सरपंच से यह रिपोर्ट तसदीक
करवाने के बाद ही निदेशालय में भेजी जानी है।"--मुकेश कुमार,
¨प्रसिपल, जीएसएसएस, धन्यौड़ा। dj
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