गुड़गांव : सांचौली के राजकीय मिडल स्कूल में शिक्षा प्राप्त करने वाले 500 छात्रों को मात्र 3 शिक्षक ही पढ़ा रहे हैं। स्कूल के प्राथमिक विंग में 287 छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा 2 शिक्षकों के पास है जबकि छठी, 7वीं व 8वीं के 215 बच्चों को शिक्षा की जिम्मेदारी के लिए कोई अध्यापक नहीं है। इस विंग में सिर्फ हैड टीचर ही है। स्कूल की डाक संभालने से लेकर सभी कार्य हैड मास्टर को ही करना पड़ता है।
बेटी पढ़ाओ-बेटी बचाओ का संदेश यहां कितना कारगर सिद्ध हो रहा है इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि छात्राओं के लिए स्कूल बस नाम का है। यहां न तो अध्यापक हैं और न ही दूसरी सुविधाएं। जो शिक्षक हैं वे नाकाफी हैं, लेकिन पूरी काबिलियत से बच्चों को पढ़ाते हैं।
सांचौली के इस सरकारी मिडल स्कूल में छात्राओं की संख्या लड़कों के मुकाबले अधिक है। छात्राओं में पढ़ने का जज्बा है लेकिन शिक्षकों की कमी है। स्कूल में कुल 502 विद्यार्थी हैं, इनमें लड़कों की संख्या 240 और लड़कियां 262 हैं। छात्रा सबीना का कहना है कि यहां 6 में से 4 घंटे खुद ही बैठकर पढ़ना पड़ता है।
सायरा कहती है कि कई कई कक्षाओं को एक साथ बैठकर पढ़ना पड़ता है। उसका कहना है कि जैसे-तैसे टीचर पढ़ा तो देते हैं लेकिन जब कोई शंका होती है तो वे समाधान करने में अटक जाते हैं। बकौल सायरा कक्षा में जब 120 बच्चे होंगे तो पढ़ाई कैसे होगी।
सरपंचों ने भी कई बार मांगा स्टाफ
गांव की सरपंच ज्योति का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों को कई बार रिक्त पड़े पदों को भरने के लिए लिखित में दिया जा चुका है। सरपंच ने बताया कि उससे पूर्व बने सरपंचों ने भी कई बार शिक्षकों की मांग की है। लेकिन विभाग द्वारा शिक्षकों के रिक्त पड़े पदों को पूरा नहीं किया जा रहा है।
अब रेशनेलाइजेशन सूची पर आस
मिडल हैड सुमन पंवार का कहना है कि उन्हें शिक्षण के साथ-साथ स्कूल की डाक, स्कूल में चल रहे निर्माण कार्यों, क्लर्क के कार्य सहित विभिन्न कार्यों में भी ड्यूटी देनी पड़ती है। वह कहती हैं कि एक साथ 215 विद्यार्थियों को पढ़ाना बहुत ही मुश्किल हो रहा है। बीईओ सरोज दहिया का कहना है कि रेशनेलाइजेशन की सूची आने के बाद शिक्षकों की कमी पूरी होने की उम्मीद है। dt
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