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Thursday, 21 July 2016

रेशनलाइजेशन : नई पॉलिसी शिक्षकों के साथ सरासर अन्याय

** गणित, एसएस और हिंदी के अध्यापक सबसे ज्यादा सरप्लस
हरियाणा सरकार की नई रेशनलाइजेशन पॉलिसी शिक्षकों के हित में नहीं कही जा सकती। इसके तहत शिक्षकों पर बेवजह वर्क लोड बढ़ा कर उनको सरप्लस कर दिया गया है। सरप्लस किए गए शिक्षकों का क्या होगा, इस बारे में अभी भी संशय बना हुआ है। सरकार इस बारे में क्या फैसला लेगी, यह शिक्षकों के समझ नहीं आ रहा है। प्रदेश में 11586 अध्यापकों के कार्य का जिम्मा नई पॉलिसी के तहत 1855 अध्यापकों पर डाल दिया गया है। नई पॉलिसी में हिंदी को संस्कृत, गणित को विज्ञान और एसएस को अंग्रेजी के साथ जोड़ दिया गया है। ऐसे में शिक्षक वर्क लोड को कैसे मैनेज कर पाएंगे, यह देखने वाली बात है। 
नई रेशनलाइजेशन पॉलिसी में दो दो विषयों का वर्क लोड एक जगह करके अध्यापकों को सरप्लस किया गया है। शिक्षकों पर वर्क लोड बढ़ाया गया है। मास्टर वर्ग के पीरियड 36 से 44 व लेक्चरर के 30 से 36 कर दिए गए। पीटीआइ और डीपीई केवल मिडिल और हाई स्कूल में कर दिए हैं जबकि पहले सीनियर सेकेंडरी में भी होते थे। एक तरफ तो हरियाणा खेलों में बढ़िया प्रदर्शन कर रहा है दूसरी ओर पीटीआइ और डीपीई घटाए जा रहे हैं। यह किसी भी मायने में तर्क संगत नहीं लगता। 
रेशनलाइजेशन के मायने हैं छात्र संख्या के आधार पर अध्यापक उपलब्ध कराना। वर्क लोड बढ़ाना या दो विषयों को वर्क लोड क्लब करना नहीं। सरकार किसी न किसी बहाने से न जाने क्यों शिक्षकों को सरप्लस कर रही है। एक तरफ शिक्षा को गुणवत्तापरक, सुगम बनाने के दावे किए जा रहे हैं वहीं अध्यापकों पर वर्क लोड बेवजह बढ़ाया जा रहा है। नई पॉलिसी के तहत हिंदी का वर्क लोड संस्कृत के साथ, गणित का वर्क लोड विज्ञान के साथ और एसएस का वर्क लोड अंग्रेजी के साथ कर दिया गया है। नई पॉलिसी के तहत सरकार ने जो यह निर्णय लिया है, यह किसी भी हाल में सही नहीं हो सकता। प्रदेश सरकार इस पॉलिसी को रद करके शिक्षकों के हित वाली पॉलिसी लेकर आए।
सरकार अध्यापकों की इन मांगों पर दे ध्यान

  • प्रत्येक विषय और कक्षा के लिए अलग-अलग अध्यापक हों 
  • अध्यापकों के खाली पदों पर अविलंब स्थायी भर्ती की जाए। 
  • इस रेशनलाइजेशन पॉलिसी को रद किया जाए।
  • अध्यापक संघ से सलाह मशविरा करके दोबारा से रेशनलाइजेशन किया जाए।
  • रेशनलाइजेशन 30 सितंबर 2015 की छात्र संख्या की बजाय जुलाई 2016 की छात्र संख्या के आधार पर किया जाए।
  • अध्यापकों के पीरियड पुराने रखें जाएं, बढ़ाए न जाएं।
  • दो विषयों का वर्क लोड इकट्ठा न करके विषयवार अध्यापक दिए जाएं।                                                          dj

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