नई दिल्ली : मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक सभी डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर (डीबीटी) को आधार कार्ड से जोड़ दिया जाएगा। सरकार ने 31 मार्च, 2017 तक सभी अनुदान जनकल्याण योजनाओं को डीबीटी के तहत लाकर आधार से जोड़ने का लक्ष्य रखा है।
इससे सरकार को हजारों करोड़ रुपए के लीकेज को रोकने में मदद मिलेगी। डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर प्रोग्राम जनकल्याण कोष के लीकेज को नियंत्रित करने के लिए जनवरी, 2013 में लॉन्च किया गया था। इसके तहत किसी किसी भी सब्सिडी या जनकल्याण कार्यक्रम के तहत नकद हस्तांतरण सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में किया जाता था। इससे कोष का दुरुपयोग होने का डर नहीं होता और नकली लाभार्थी को हटाने में मदद मिलती है। इस योजना से अब तक कई तरह के जनकल्याण योजनाओं में अच्छी-खासी बचत हुई है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक डीबीटी के प्लेटफॉर्म पर 1.2 लाख करोड़ रुपए 30,000 लाभार्थियों को वितरित किए जा चुके हैं। डीबीटी के तहत साल 2015-16 में 61,000 करोड़ रुपए बांटे गए हैं। इसमें मनरेगा के तहत करीब 25,000 करोड़ रुपए और पहल स्कीम के तहत 21,000 करोड़ रुपए मिले हैं। साल के अंत तक सरकार 150 योजनाओं को डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर से जोड़ेगी। केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को डीबीटी का लाभ मिले और सब्सिडी या वेलफेयर प्रोग्राम के तहत किसी भी तरह का फंड लीकेज होने पाए। सरकार ने राज्यों से भी डीबीटी स्कीम को सफल बनाने पर जोर देने को कहा है।
डायरेक्ट बेनीफिट ट्रांसफर के जरिए कुल बचत स्कीम टू स्कीम पर निर्भर होती है। योजना दर योजना पर निर्भर करती है। बोगस राशन कार्ड खत्म करने के संबंध में कुछ ऐसे संकेत हैं।
इसीलिए 1.6 करोड़ से अधिक राशन कार्ड रद्द किए जा चुके हैं। सिर्फ इसी की वजह करीब 10,000 करोड़ रुपए की बचत का अनुमान है। db
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