सिरसा : भले ही, सरकार और शिक्षा विभाग शिक्षा का अधिकार कानून को लागू कर चुकी हो और प्रत्येक बच्चे को स्कूल तक लाने की के दावे किए जा रहे हों लेकिन वास्तविकता कुछ और है। जिला प्रशासन की ओर से कराए गए सर्वे में सामने आया है कि अभी भी 33 हजार से अधिक बच्चे स्कूलों से बाहर घूम रहे हैं जबकि शिक्षा विभाग इन आंकड़ों को मिथ्या करार दे रहा है। अब डीएड छात्रों को ही आउट ऑफ स्कूल बच्चों को लाने की जिम्मेदारी दी गई है। शिक्षा से वंचित रहने वाले स्कूलों के बाहर घूम रहे बच्चों को ट्रेस कर लाने के लिए सरकार ने योजना तो बना दी लेकिन अधिकारियों के स्तर पर काम सही तरीके से नहीं चल पाया। सालाना दाखिलों के समय तो हालांकि कुछ दिन अभियान चलाए जाते हैं लेकिन कुछ ही माह में स्थिति वैसी ही हो जाती है। जिला प्रशासन ने गत वर्ष हाउस होल्ड का सर्वे कराया था। करीब छह माह पूर्व उस सर्वे के परिणाम चौंकाने वाले सामने आए। विश्वस्त सूत्रों के अनुसार अभी भी जिला में 33 हजार से अधिक बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। रिपोर्ट अधिकारियों के सामने रखी गई तो सबके होश फाख्ता हो गए। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने इस रिपोर्ट को मिथ्या करार दिया। अधिकारियों का तर्क था कि अलग-अलग सर्वे में अलग-अलग परिणाम निकलकर सामने आते हैं इसलिए इस पर विश्वास नहीं किया जा सकता। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बावजूद स्कूलों से बाहर रहने वाले बच्चों को स्कूलों तक लाने के लिए विभाग ने नया तरीका अपनाया। बताया जा रहा है कि स्कूलों में इंटर्नशिप करने आए डीएड के छात्रों को जिम्मेदारी दी गई कि वह आसपास के क्षेत्र में सर्वे करें और स्कूलों में बच्चों को दाखिल कराएं। इससे पहले सर्वे कर बच्चों को स्कूलों में दाखिल कराने का जिम्मा सर्व शिक्षा अभियान के कर्मचारियों को सौंपा गया था। जिले में 33 हजार से अधिक बच्चे आउट ऑफ स्कूलसर्व शिक्षा अभियान कार्यालय की ओर से अक्टूबर माह में सभी स्कूलों से नवीनतम डाटा एकत्र करने का काम शुरू होगा। सभी स्कूलों में एक परफोर्मा भेजा जाएगा जिसमें स्कूल के बच्चों की संख्या, अध्यापकों की संख्या और स्कूल से बाहर रहने वाले बच्चों की संख्या सहित आधारभूत जानकारियां मांगी जाएंगी। डाटा एकत्र होने के बाद ही आगामी वर्ष की योजनाएं बनाई जाएंगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर स्कूलों से बाहर रहने वाले बच्चों को स्कूलों तक लाने की भी योजना बनाई जाएगी।सर्व शिक्षा अभियान की जिला परियोजना समन्वयक (डीपीसी) नीता अग्रवाल ने कहा कि स्कूलों के स्टाफ सदस्यों को ही जिम्मेदारी दी गई है कि वह बच्चों को स्कूलों तक लेकर आएं। इसी आधार पर ही रेजीडेंशियल स्कूल भी सरकार की ओर से खोले जा रहे हैं। ....dj
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