चंडीगढ़ : विपक्ष तो खैर सदन में था नहीं लेकिन सरकार के लिए स्थिति उस वक्त थोड़ी परेशानी वाली हो गई जब नलवा से कांग्रेसी विधायक प्रोफेसर संपत सिंह ने शिक्षा के सवाल पर मंत्री को घेर लिया। संपत ने कहा कि इतना खर्च करने के बावजूद हमारे सरकारी स्कूल में परीक्षा परिणाम क्यों खराब आ रहा है? इसकी तह में जाना होगा। उन्होंने शिक्षा मंत्री से कहा कि मैडम पता करें आखिर गड़बड़ी कहां है?
यह सवाल उठाया:
संपत ने पूछा कि परीक्षा परिणाम क्यों अच्छा नहीं आ रहा और टीचर भर्ती का क्या हो रहा है? उन्होंने कहा कि एक ओर तो कहा जा रहा है टीचर सरप्लस है और दूसरी ओर टीचरों की कमी है। ऐसे में रेशनेलाइजेशन की जरूरत क्या है। गेस्ट टीचर का क्या हो रहा है? इसके जवाब में शिक्षा मंत्री ने बताया कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम से आठवीं बोर्ड खत्म हो गया। विद्यार्थियों को फेल न करते हुए अगली कक्षा में पास किया जाता है। उन्होंने बताया कि वर्ष 2013 में सरकारी स्कूलों में दसवीं कक्षा का परिणाम 40.93 फीसदी रहा, जबकि निजी स्कूलों में 61.19 फीसदी। परंतु सरकारी स्कूलों में एक या दो विषयों में रि-अपीयर के मामले 34.48 प्रतिशत रहे हैं जिससे परिणाम में सुधार की उम्मीद है।
यह दिया सुझाव :
संपत सिंह ने सदन में शिक्षा के मॉडल का जिक्र करते कहा कि सरकारी स्कूल के एक बच्चे पर सरकार 17 हजार 500 रुपए खर्च कर रही है। ऐसा होना चाहिए कि बड़े स्कूल बनाए जाएं। बच्चों को आने जाने के लिए मुफ्त में बस सुविधा दी जाए। जिससे एक ही जगह सारी सुविधा दी जाएं। कम खर्च होगा और शिक्षा में भी सुधार होगा। प्रोफेसर ने आयरन की दवा से बीमार हो रहे बच्चों का मामला भी उठाया। उन्होंने कहा कि इस ओर भी ध्यान दिया जाना चाहिए। .....db
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