कुरुक्षेत्र : जब बाड़ ही खेत को खाने लगे तो उसे बचाने वाला कौन हो सकता है। उच्च शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव एसएस प्रसाद के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय ने पीएचडी के नियमों की धज्जियां उड़ा दी। प्रसाद ने बीटेक और एमटेक की थी, जबकि उन्हें लोक प्रशासन विभाग में पीएचडी में दाखिला दिया गया है। सूचना के अधिकार के तहत कुवि प्रशासन से मांगी गई जानकारी में यह खुलासा हुआ है।
उच्च शिक्षा विभाग के मुख्य सचिव और वरिष्ठ आइएएस एसएस प्रसाद कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से पीएचडी करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने वर्ष 2013 में कुवि के लोक प्रशासन विभाग में आवेदन किया। नियमों के अनुसार किसी विषय में पीएचडी करने के लिए उसी विषय में एमए होना जरूरी है।
प्रसाद के आवेदन पर कुवि प्रशासन ने कमेटी गठित किए जिसका सुझाव था कि मुख्य सचिव को एमएम नहीं बल्कि एमफिल आधार पर दाखिला दिया जाए।
ये थे कमेटी के डीन सदस्य :
कुवि की ओर से बनाई कमेटी में डीन आफ एकेडमिक, डीन आफ साइंस एंड टेक्नालॉजी, डीन आफ एजूकेशन, डीन आफ एजूकेशन, डीन ऑफ इंडिक स्टडी और डीन आफ कामर्स एंड मैनेजमेंट को शामिल किया गया था, जिन्होंने नियमों में जबरदस्त फेरबदल किया है।
फार्म में नहीं दिए एमफिल के नंबर भी
स मामले में प्रशासन और अधिकारियों ने सरेआम धांधली की है। कमेटी ने नियमों में फेरबदल कर एमफिल आधार पर दाखिला दिया है, जबकि आवेदन में एसएस प्रसाद ने एमफिल के अंक ही नहीं लिखे। उनको एमटेक के नंबरों के आधार पर ही मेरिट तैयार कर पहले नंबर पर खड़ा कर दिया और दाखिला दे दिया।
पीएचडी कमेटी के सदस्य ने बैठक में भी नहीं लिया भाग :
विभाग की इस दौरान हुई बैठक में पीएचडी कमेटी के तीन सदस्यों में दो ने ही हिस्सा लिया। तीन सदस्यों में विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रदीप सचदेवा, डॉ. मंजूषा और डॉ. अजमेर सिंह थे। इनमें से डॉ. अजमेर सिंह ने बैठक में भाग नहीं लिया। दो सदस्यों ने ही कमेटी का फैसला लिया है। dj
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