चंडीगढ़ : प्रदेश में उच्च एवं वरिष्ठ माध्यमिक स्कूलों के अंतर्गत चल रहे मिडिल स्कूलों के मुख्याध्यापकों को द्वितीय श्रेणी का दर्जा न दिए जाने का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। स्वतंत्र प्रभार वाले मिडिल स्कूल मुख्याध्यापकों को शिक्षा विभाग सभी अधिकार, आहरण-वितरण शक्तियां तथा द्वितीय श्रेणी का दर्जा दे चुका है, लेकिन अंडर कांप्लेक्स स्कूलों के मुख्याध्यापक इनके लिए तरस रहे हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों से लेकर सरकार तक गुहार लगाने के बावजूद कार्रवाई न होने पर मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की राह पकड़ी है। हरियाणा मास्टर वर्ग एसोसिएशन के प्रधान रमेश मलिक ने बताया कि मुख्याध्यापकों के समक्ष अब कोई रास्ता नहीं बचा था। शिक्षा विभाग के अधिकारी उनकी जायज मांग पर ढुलमुल रवैया अपनाए हुए हैं। इसलिए मुख्याध्यापकों को न्यायालय में जाना पड़ा है। उनके केस की सुनवाई अगले माह होगी। पंजाब वित्त नियमों के अनुसार आहरण-वितरण अधिकारी को द्वितीय श्रेणी का दर्जा दिया जाना चाहिए। प्रदेश में सभी आहरण-वितरण अधिकारी द्वितीय श्रेणी में हैं तथा मौलिक स्कूल मुख्याध्यापकों की ग्रेड पे 4800 है। बावजूद इसके उन्हें द्वितीय श्रेणी में नहीं रखा गया है। उन्हें न तो आहरण एवं वितरण शक्तियां दी गई हैं, न ही कार्य क्षेत्र के बारे में बताया गया है। dj
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