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Friday, 19 September 2014

सरकारी स्कूलों के बच्चों का शिक्षा स्तर बढ़ा रहा "माई स्कूल-माई प्रोजेक्ट"


** 2011 में हुए सर्वे में सरकारी स्कूल के बच्चे मिले थे कमजोर 
अम्बाला सिटी : सरकारी स्कूलोंमें बच्चों की शिक्षा के क्षेत्र में गुणवत्ता को बढ़ावा देने के लिए शिक्षा विभाग द्वारा सभी स्कूलों का सर्वे कराया गया। यह सर्वे वर्ष 2011 में असर-प्रथम समूह द्वारा किया गया। जिसमें सभी स्कूलों के बच्चों की लर्निंग लेवल पर गुणवत्ता की जांच की गई। सर्वे में पाया गया कि निजी स्कूलों की अपेक्षा सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे पढ़ाई में काफी कमजोर हैं। इसी के मद्देनजर शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों की शिक्षा के स्तर पर में आगे बढ़ाने उनकी गुणवत्ता को अन्य स्कूलों की तरह बेहतर बनाने के लिए सभी स्कूलों में माई स्कूल, माई प्रोजेक्ट कार्यक्रम का चलाया गया। 
15 दिन में होती है परिणाम की जांच 
सरकारी स्कूलों के बच्चों को माई स्कूल, माई प्रोजेक्ट के तहत स्कूल के मुखिया द्वारा बच्चों को लर्निंग लेवल पर जाे भी सिखाया जाता है, उसका रिकार्ड एक रजिस्टर में होता है। यही रजिस्टर 15 दिन बाद बीईईओ को दिखाया जाता है। जिसकी जांच स्कूल के सभी मुखियाओं के सामने की जाती है। 
75 स्कूलों में की गई थी कार्यक्रम की शुरुआत 
विभाग द्वारा बच्चों के लर्निंग लेवल शिक्षा स्तर को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई को माई स्कूल, माई प्रोजेक्ट कार्यक्रम की शुरुआत की गई। जिसे उस समय जिला अम्बाला के 75 स्कूलों में लागू किया गया था। लेकिन बाद में कार्यक्रम के परिणाम अच्छे आने पर इसकी संख्या बढ़ा दी गई। इस समय जिला में 186 स्कूल इस कार्यक्रम का लाभ उठा रहे हैं। 
क्या है माई स्कूल, माई प्रोजेक्ट कार्यक्रम 
सरकारी स्कूलों में शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के लर्निंग लेवल शिक्षा स्तर को बढ़ावा देने के लिए माई स्कूल, माई प्रोजेक्ट कार्यक्रम चलाया गया है। जिसमें प्रथम कक्षा से लेकर 12वीं तक के बच्चों को शामिल किया गया है। इस कार्यक्रम के तहत स्कूल के मुखिया अध्यापकों द्वारा बच्चों को हिंदी ही नहीं अपितु अंग्रेजी भाषा को सरल रूप में सिखाया जाता है। बच्चों को स्कूल टाइम में सुबह से दोपहर तक हिंदी अंग्रेजी विषयों का ज्ञान दिया जाता है।
"शिक्षा विभाग द्वारा बच्चों के लर्निंग लेवल शिक्षा स्तर को बढ़ावा देने के लिए यह कार्यक्रम चलाया गया है। कार्यक्रम के तहत बच्चों प्रथम कक्षा से ही वह सब सिखाया जाता है, जिसे वे 12 कक्षा में सीखते हैं। इतना ही नहीं जो बच्चे अपना नाम तक नहीं लिखे सकते हैं उन बच्चों को हिंदी अंग्रेजी लिखने के साथ-साथ बोलना भी सिखाया जाता है। सरकारी स्कूल के बच्चों को शिक्षा स्तर में आगे बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा उठाया गया यह एक सराहनीय कदम है।"--सुधीर कालड़ा, बीईईओ,अम्बाला सिटी                                       db

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