** मामले की सुनवाई नौ अक्तूबर तक के लिए स्थगित
चंडीगढ़ : पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि हरियाणा स्कूल रूल्स के तहत सरकारी स्कूलों में बीपीएल परिवारों के कितने मेधावी छात्रों को दाखिला दिया गया है। इसके साथ नियमों को लागू करने के लिए क्या व्यवस्था की गई है। मामले की सुनवाई नौ अक्तूबर तक के लिए स्थगित कर दी गई है। जस्टिस सूर्यकांत की बेंच के निर्देश पर प्रमुख शिक्षा सचिव सुरीना राजन स्वयं पेश हुईं।
सुरीना राजन ने बताया कि सरकार निजी स्कूलों को स्कूल चलाने के लिए मान्यता देती है। उन्हें बीपीएल श्रेणी के मेधावी बच्चों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण देने को बाध्य किया जा सकता है। पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र के आरटीई के तहत 25 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण की स्थिति पर जवाब मांगा गया था। अब सरकार से पूछा है कि कितने बच्चों को आरक्षण दिया गया और कितनी सीटें खाली हैं।
उधर, निजी स्कूलों की संस्था के वकील राजबीर शेहरावत ने पैरवी करते हुए कहा कि आरटीई और हरियाणा स्कूल रूल्स भिन्न हैं। हरियाणा स्कूल रूल्स के तहत 10 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान है, लेकिन सरकार बाध्य कर रही है कि आरक्षित सीटों पर सरकारी दर के हिसाब से शिक्षा दी जाए। उन्होंने दलील दी कि सरकारी स्कूलों में बीपीएल मेधावी छात्रों को न के बराबर फीस पर शिक्षा दी जाती है, ऐसे में निजी स्कूल यह शर्त कैसे मान सकते हैं और न ही सरकार ने फीस रिइंबर्समेंट का कोई प्रावधान रखा है। बेंच ने निजी स्कूलों से आंकड़ा मांगा कि आखिर रिइंबर्समेंट कितनी हो सकती है, लेकिन स्कूलों ने कहा है कि आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो सकता। उल्लेखनीय है कि हाईकोर्ट पहले ही सरकार से कह चुका है कि निजी स्कूलों को सीटें आरक्षित करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता और ऐसे आदेश पर रोक लगा रखी है। निजी स्कूल हरियाणा स्कूल रूल्स को रद कराने के लिए ही हाईकोर्ट पहुंचे थे। au
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