** पहली कक्षा के लिए सरकारी स्कूलों में दाखिले का बनाया दबाव
चंडीगढ़ : हरियाणा के निजी स्कूलों में नियम 134ए के तहत दूसरी से आठवीं कक्षा तक गरीब बच्चों को 10 फीसदी सीटों पर दाखिला दिलाने का मामला अभी सिरे भी नहीं चढ़ा है कि शिक्षा विभाग ने पूर्व निर्धारित नियमों में नई धारा जोड़कर पहली कक्षा में गरीब बच्चों के निजी स्कूलों में दाखिले पर लगभग रोक लगा दी है।
निदेशक एलीमेंटरी शिक्षा हरियाणा ने वीरवार को प्रदेश के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों और सभी ब्लाक शिक्षा अधिकारियों को एक सर्कुलर जारी कर कहा है कि हाईकोर्ट की ओर से गत एक अप्रैल को दिए गए आदेश में कहा गया है कि पहली कक्षा में आरक्षण और दाखिले आरटीई एक्ट 2009 के नियमानुसार दिए जाएं। हाईकोर्ट के आदेश में ऐसा कहीं नहीं है कि यह दाखिले 134ए के तहत हों। इसलिए शिक्षा विभाग गरीब बच्चों को दाखिला देने संबंधी आरटीई नियम 2011 की धारा 7 को हरियाणा राइट आफ चिल्ड्रन टू फ्री एंड कंप्लसरी एजूकेशन (संशोधन) रूल 2015 के अंतर्गत संशोधित करते हुए उप नियम 7 बनाया गया है। इसके अनुसार, गरीब परिवारों केबच्चों को दाखिले में 25 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा, लेकिन बच्चों को दाखिले के लिए पहले सरकारी स्कूलों और गैर अनुदान प्राप्त स्कूलों में आवेदन करना होगा। यदि सरकारी स्कूल और गैर अनुदान प्राप्त स्कूल में सीट खाली नहीं हुईं तभी गरीब बच्चे निजी स्कूलों में दाखिले के लिए आवेदन कर सकेंगे। सर्कुलर में सभी डीईओ और ब्लाक शिक्षा अधिकारियों को गरीब बच्चों को आरटीई 2009 और उसके बाद बने नियम के तहत दाखिले दिलवाने के निर्देश दिए गए हैं।
उधर, शिक्षा विभाग के इस फैसले पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दो जमा पांच मुद्दे आंदोलन के अध्यक्ष सत्यवीर सिंह हुड्डा ने कहा कि इससे शिक्षा विभाग की मंशा का पता चलता है।
उन्होंने कहा कि विभाग ने पहले भी गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में तय आरक्षित सीटों पर दाखिला दिलाने में हाईकोर्ट की फटकार के बाद कदम उठाया था। अब नए फैसले से साफ है कि विभाग गरीब बच्चों को निजी स्कूलों में दाखिला नहीं दिलाना चाहता। उन्होंने कहा कि भला कोई मान सकता है कि सरकारी स्कूल में पहली कक्षा में सीट खाली नहीं मिलेगी, जबकि सरकार का ही नियम है कि किसी भी बच्चे को सरकारी स्कूल में दाखिले से इंकार नहीं किया जा सकता। इस आंदोलन से जुड़े भारत भूषण बंसल ने भी शिक्षा विभाग के इस फैसले की कड़ी आलोचना की है। au
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