हिसार : इंसान के जीवन में जितना महत्व शिक्षा का होता है, उतना ही खेलकूद
का भी है। सफलता प्राप्त करने के लिए शारीरिक और मानसिक दोनों तरह से
स्वस्थ रहना जरूरी है। इसी को ध्यान में रखते हुए केन्द्रीय माध्यमिक
शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने बच्चों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए कक्षा नौवीं
से 12वीं तक खेल का पीरियड अनिवार्य कर दिया है।
स्वास्थ्य, शारीरिक,
मानसिक और सामाजिक तौर पर सभी अवस्थाओं में बेहतर प्रदर्शन के लिए स्वस्थ
तन-मन का होना जरूरी है और इसके लिए खेलना भी जरूरी है। यही वजह है कि
सीबीएसई ने शिक्षा में खेलों के महत्व को जरूरी समझते हुए इसे अनिवार्य तौर
पर टाइम टेबल में जगह देने का कदम उठाया है। इसके तहत कक्षा 9 से 12 तक का
हर बच्चा खेल पीरियड के दौरान मैदान पर नजर आएगा और खेलेगा भी। इसके लिए
उन्हें ग्रेड भी दिए जाएंगे। सीबीएसई ने कहा कि स्कूल में कक्षा नौ से
कक्षा 12 तक के बच्चों को अब पढ़ाई के साथ ग्राउंड पर भी दम दिखाना होगा।
इसके लिए जरूरी है कि स्कूल अन्य विषयों की ही तरह खेल के लिए भी एक पीरियड
बनाए।
खेल में मिलेंगे ग्रेड
हिसार सिटी की सीबीएसई कॉर्डिनेटर ने शालिनी
मल्होत्र बताया कि बोर्ड ने कक्षाओं में बैठकर पढ़ते रहने की आदत से बच्चों
को निजात दिलाने के लिए यह कदम उठाया है। सीबीएसई ने एक नियमावली तैयार की
है। इसके तहत खेल के लिए अलग पीरियड बनने के बाद हर बच्चे को ग्राउंड पर
ले जाने की जिम्मेदारी निर्धारित खेल शिक्षक की होगी। बच्चों का ग्राउंड पर
जाना सुनिश्चित करने के लिए टीचर के पास एक चेक लिस्ट होगी जिसमें
छात्र-छात्रओं की फिटनेस के साथ खेलों में किए गए प्रदर्शन का ब्यौरा होगा।
इसी के अनुरूप बच्चों को ग्रेड भी दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि हेल्थ
एंड फिजिकल एजुकेशन को अनिवार्य किए जाने का उद्देश्य बच्चों को शारीरिक व
मानसिक रूप से स्वस्थ रखना है।
मोबाइल छोड़ मैदान में उतरेंगे
विद्यार्थी
सीबीएसई के इस कदम को स्कूल के संचालकों सहित अभिभावकों ने भी
स्वागत किया है। उनका मानना है कि वर्तमान में बच्चों का पूरा ध्यान आधुनिक
उपकरणों जैसे कंप्यूटर, मोबाइल, टैबलेट एवं अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर
केन्द्रीत रहता है। वे इन उपकरणों पर घंटों समय व्यतित करते हैं। जिसकी वजह
से आउटडोर गेम्स पर से उनकी रूचि धीरे धीरे खत्म होती जा रही है। इससे
बच्चे शारीरिक रूप से तो कमजोर हो ही रहे है साथ ही मोटापा, आंखों से
संबंधित रोग, भूख न लगना जैसे अनेक बीमारियों से ग्रसित हो रहे है। ये
जानते हुए भी अभिभावकों के लिए बच्चों को इन उपकरणों के इस्तेमाल से रोकना
मुश्किल था. बोर्ड की इस पहल से बच्चे शारीरिक रूप से तो मजबूत होंगे ही
साथ इन बीमारियों से भी उन्हें छुटकारा मिलेगा। साथ ही अभिभावकों को उनके
परेशानियों से निजात मिलेगी।
"सीबीएसई की इस पहल से बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ
खेल के मैदान में भी बेहतर कर सकेंगे। इसके साथ ही शिक्षा से जुड़े क्षेत्र
के अलाव उनके पास खेल में भी अपना करियर बनाने का एक विकल्प रहेगा।"-- नरेश
मलिक, बैडमिंटन कोच
"डीपीएस मय्यड़ में पहले से ही हर कक्षा के लिए खेल का
एक पीरियड है। सीबीएसई से सकरुलर मिल जाने के बाद इसपर और विशेष ध्यान दिया
जाएगा। इससे बच्चों का स्वास्थ्य तो अच्छा होगा ही साथ ही उनकी पढ़ाई के
प्रति भी रुचि बढ़ेगी।"-- मंजू सुधाकर, प्रधानाचार्य डीपीएस।
"इस नियमावली के
तहत नौवीं से 12वीं तक की कक्षाओं में स्वास्थ्य एवं शारीरिक शिक्षा को
मुख्यधारा में लाने का निर्णय लिया गया है। ताकि छात्रों की जीवन शैली में
बदलाव आए और उनकी शारीरिक सक्रियता बनी रहे।"-- शालिनी मल्होत्र, हिसार सिटी
सीबीएसई कॉर्डिनेटर।
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