** 6वीं से 12वीं तक की किताबों में पॉक्सो ई-बॉक्स और चाइल्ड लाइन नंबर 1098 छपा होगा
नई दिल्ली : कठुआ दुष्कर्म कांड से विचलित लोगों को सुरक्षा का
अहसास कराने के लिए केंद्र सरकार ने बचाव के भी कुछ कदम उठाने का फैसला
किया है। लिहाजा, बाल संरक्षण योजनाओं जैसे पॉक्सो अधिनियम और चौबीसों घंटे
काम करने वाले बच्चों के हेल्पलाइन नंबरों को अब छठी से बारहवीं कक्षा तक
की एनसीईआरटी की सभी पाठ्य पुस्तकों पर छापा जाएगा ताकि बच्चे अपने
अधिकारों और मदद के जरिये के प्रति जागरूक रहें।
महिला एवं बाल कल्याण
मंत्रलय के अनुसार नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रेनिंग
(एनसीईआरटी) की किताब के अंदर के पहले पन्ने पर यह जानकारियां प्रकाशित की
जाएंगी।
मंत्रलय का मकसद इन जानकारियों को परेशानियों का शिकार होने वाले
बच्चों को सीधे तौर पर मदद से जोड़ना है। साथ ही उन्हें यह बताना है कि वह
जरूरत पड़ने पर इन नंबरों से कभी भी मदद ले सकते हैं, ताकि बच्चे अपनी
सुरक्षा और अधिकारों के प्रति जागरूक हों। साथ ही किसी तकलीफ में वह अपनी
शिकायत भी तुरंत कर सकें। इसीलिए महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी
ने मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और एनसीईआरटी से अपील की है
कि एनसीईआरटी प्रकाशन के जरिये पॉक्सो कानून के ई-बॉक्स और चाइल्डलाइन 1098
को प्रचारित-प्रसारित किया जाए। साथ ही स्कूलों में बच्चों के यौन शोषण पर
शिक्षाप्रद फिल्मों को दिखाया जाए। साथ ही स्कूल के कर्मचारियों के लिए
इस संबंध में कड़े मानकों का पालन करवाया जाए।
मेनका गांधी ने केंद्रीय
मंत्री जावड़ेकर और एनसीईआरटी को उनके सुझावों को अमल में लाने पर धन्यवाद
दिया है। उन्होंने कहा कि माता-पिता, अभिभावकों और शिक्षकों को बच्चों के
व्यवहार में बदलाव के प्रति सतर्क रहना चाहिए। और अगर कोई संदिग्ध हालात
हों तो
इसकी जानकारी तत्काल चाइल्डलाइन नंबर 1098 और पॉक्सो ई-बॉक्स पर देनी
चाहिए।
महिला एवं बाल कल्याण मंत्रलय का मानना है कि कोर्स की इन किताबों
के जरिए यह सूचना तकरीबन 2 करोड़ स्कूली छात्र-छात्रओं तक पहुंचेगी। यह
जानकारी सीधे तौर पर 15 लाख स्कूलों के 10 लाख से अधिक शिक्षकों को
भी मिलेगी।
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