अंबाला शहर : दाखिला किसी यूनिवर्सिटी में और पढ़ाई किसी अन्य
विश्वविद्यालय से, किस विषय की कितनी पढ़ाई किस विश्वविद्यालय में करनी है
यह भी खुद विद्यार्थी ही तय करेंगे। जी हां, विद्यार्थियों का यह सपना
प्रदेश के विश्वविद्यालयों में सच होने जा रहा है। इस बारे में 7 अप्रैल को
उच्चतर शिक्षा विभाग आयुक्त ने पत्र जारी किया है। इस तकनीक को नाम दिया
गया है च्वाइस बेसड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस)। शुरुआती चरण में अंडर
ग्रेजुएट में यह सुविधा शुरू की जाएगी। इस पॉलिसी के लागू होने पर शिक्षण
संस्थानों में क्रेडिट ट्रांसफर सिस्टम और स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम
लागू होगा।
बता दें कि वर्ष 2014 में मानव संसाधन मंत्रलय मंत्री स्मृति
ईरानी ने इस पॉलिसी की घोषणा देशभर में की थी, लेकिन लागू नहीं हो सकी थी।
इस पॉलिसी को लागू करने के साथ-साथ प्रदेशभर के सभी कालेजों में 11 विभिन्न
विषयों की रिवीजन के लिए 57 सदस्यीय प्राध्यापकों की कमेटी का गठन कर दिया
गया है। यह कमेटी 14 अप्रैल को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय और 15 अप्रैल को
रोहतक में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में बैठक कर अपनी अनुशंसा देगी।
पॉलिसी में 9वीं से पीएचडी तक इस योजना को लागू करने की बात कही गई थी,
लेकिन फिलहाल इसे स्नातक में ही लागू किया जाएगा।
ऐसे आया था विचार
दरअसल
यूजीसी की एक समिति ने एमएचआरडी को इसके लिए सिफारिशें की थी। यूजीसी
विद्यार्थियों को यह अधिकार देना चाहता है कि खुद विद्यार्थी अपने
अध्यापकों का रिपोर्ट कार्ड तैयार करें।
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