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Sunday, 29 April 2018

शिक्षकों की हाजिरी पक्की करने में रोड़ा बने अफसर

** सरकारी स्कूलों और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में तैनात स्टाफ को फरलो (अघोषित छुट्टी) मारने से रोकने के प्रयासों में अफसर और स्कूल मुखिया रोड़ा बने हैं। 
** विभाग के अधिकारियों को तीन दिन में लगवानी होंगी नई बायोमीटिक मशीनें
चंडीगढ़: सरकारी स्कूलों और शिक्षा विभाग के कार्यालयों में तैनात स्टाफ को फरलो (अघोषित छुट्टी) मारने से रोकने के प्रयासों में अफसर और स्कूल मुखिया रोड़ा बने हैं। शिक्षा निदेशालय की तमाम कोशिशों के बावजूद पूरे प्रदेश में हजार से अधिक स्कूल ऐसे हैं, जिनमें आधार से जुड़ी नई बायोमीटिक के बजाय पुरानी मशीनों पर ही हाजिरी लगाई जा रही है। अब सरकार ने जिला शिक्षा अधिकारियों (डीईओ) और जिला मौलिक शिक्षा अधिकारियों (डीईईओ) को तीन दिन की मोहलत देते हुए तुरंत प्रभाव से नई बायोमीटिक मशीने लगवाने का निर्देश दिया है। इसके बाद दोषी अफसरों पर विभागीय कार्रवाई होगी। 
शिक्षा निदेशालय ने सभी जिलों के स्कूलों में भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण से पंजीकृत मशीनें (आरडी) पहुंचा दी हैं। इसके बावजूद डीईओ और डीईईओ की लापरवाही के कारण इनका इस्तेमाल नहीं हो रहा। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति करनाल, कुरुक्षेत्र, अंबाला व सोनीपत की है, जहां नाममात्र ही आधार से जुड़ी नई बायोमीटिक मशीनें लगाई हैं। इसमें मौलिक शिक्षा अधिकारियों की स्थिति अधिक खराब है। इन मशीनों को इस्तेमाल में लाने के लिए इस साल अभी तक पांच बार डीईओ, डीईईओ व टेक्नीकल रिसोर्स पर्सन को ट्रेनिंग दी जा चुकी। माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने अब इस पर संज्ञान लेते हुए जिला शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही को सरकारी आदेशों का उल्लंघन माना है। गत बुधवार को हुई उच्च स्तरीय बैठक में इलेक्ट्रोनिक एंड इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के अतिरिक्त मुख्य सचिव ने शिक्षा विभाग की परफॉर्मेस पर सवाल उठा दिए। इस पर हरकत में आए शिक्षा निदेशक ने सभी नोडल अधिकारियों को 30 अप्रैल तक का अल्टीमेटम दिया है।पुरानी बायोमीटिक मशीनें तमाम प्रयासों के बावजूद नहीं बदलींनई मशीनें लगीं, अब भी करनाल सहित कई जिलों में हाल बुरा

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