बराड़ा : सरकारी स्कूलों में जो बच्चे पिछली कक्षाओं में कक्षा आधारित कौशल
नहीं सीख सके, अब उसे पूरा करेंगे। इसके लिए 14 मई तक विशेष शिक्षा विभाग
की ओर से बनाया गया है। पिछले शैक्षणिक वर्ष में कक्षा पहली से आठवीं तक
कक्षा आधारित कौशल बच्चों को सिखाने का काम शुरू किया गया था, जिसमें
बच्चों को हिन्दी, अंग्रेजी और गणित विषयों के विभिन्न कौशलों को सिखाया
गया था। इस शैक्षणिक वर्ष भी बच्चों के कक्षा आधारित कौशलों पर काम किया
जाएगा।
कार्यक्रम के अनुसार किस बच्चे में कक्षा का कौन सा कौशल है, इसका रिकार्ड
स्किल पास बुक बनाकर रखा था। इस नए शैक्षणिक सत्र में बच्चा जब अपने नए
अध्यापक के पास जाएगा तो अध्यापक बच्चे की स्किल पास बुक देख पता लगा लेगा
कि बच्चे ने पिछली कक्षा में कितना ज्ञान अर्जित किया है। अगर बच्चे ने
स्किल पास बुक के मुताबिक नहीं सीखा है तो उसको नई कक्षा का अध्यापक पहले
स्किल के बारे में सिखाएगा। स्किल सिखाने के लिए 14 मई तक का समय विभाग की
ओर से निर्धारित किया गया है। कक्षा एक से आठ तक के तीनों ही विषयों की
स्किल पासबुक सभी स्कूलों में पहुंचा दी गई है।
अध्यापक व विद्यार्थियों को
राहत:
इस के कारण शिक्षा विभाग की ओर से शैक्षणिक सत्र 2018-2019 के
पाठयक्रम में भी बदलाव किया है। अध्यापकों व विद्यार्थियों को राहत देते
हुए शिक्षा विभाग ने वार्षिक पाठयक्रम में बदलाव करते हुए कहा है कि इस
सत्र में अप्रैल व मई में मासिक मूल्यांकन परीक्षा आयोजित नहीं होगी।
शैक्षणिक सत्र की शुरुआत स्किल पासबुक का काम पूरा होने के बाद 15 मई के
बाद होगी।
5 से 10 मई तक होगी स्किल की जांच:
5 से 10 मई तक टीम द्वारा
बच्चों में कक्षा आधारित स्किल की जांच की जाएगी, जिसमें डाइट, एससीआरटी,
बीआरपी, एबीआरसी, एपीसी व अन्य लोग शामिल होंगे, जोकि टीम बनाकर स्कूलों
में जाएंगे और बच्चों के द्वारा पिछली कक्षाओं में सीखी गई कक्षा व विषय
आधारित स्किल की जांच करेंगें। इस को कैचअप का नाम दिया गया है। इसमें
अध्यापक बच्चों को कौशल सिखाने में सीआरपी मॉडयूल, एनईपी बुक्स आदि की मदद
लेगें।
"हर कक्षा के लिए विषयवार विभिन्न प्रकार के कौशलों का निर्धारण किया
गया है। बच्चे के भीतर कौन-कौन से कौशल है। इसका पूरा ब्यौरा स्किल पास बुक
में दर्ज है। बच्चे कई बार पिछली कक्षाओं के कौशलों को सीखे बगैर अगली
कक्षा में आ जाते थे, जिससे अध्यापक व विद्यार्थी के लिए परेशानी होती थी।
इससे अध्यापक को स्किल पास बुक के माध्यम से पता चल जाएगा कि बच्चे ने
पिछली कक्षा में कितना सीखा है, जिससे उसे अपने शिक्षण को ओर भी अधिक
प्रभावी बनाने का अवसर मिलेगा।"-- राजीव प्रसाद, ज्वाइंट डायरेक्टर, शिक्षा
विभाग हरियाणा।1
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