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Wednesday, 25 April 2018

एमडीयू की एमपीएड डिग्री को हरियाणा से बाहर मान्यता नहीं

** 1583 किलोमीटर दूर ओड़िशा से चलकर शारीरिक शिक्षा विभाग से बीपीएड और एमपीएड की डिग्री हासिल करने पहुंचा था
** 2013 में महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक में शारीरिक शिक्षा विभाग में दाखिला लिया
** 2016 में पूरी कर ली थी एमपीएड की पढ़ाई
रोहतक : महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की खेल उपलब्धियों को देखकर किलोमीटर दूर ओड़िशा से शारीरिक शिक्षा विभाग से बीपीएड और एमपीएड की डिग्री हासिल करने पहुंचा। कड़ी मेहनत से पढ़ाई करके यहां से डिग्री तो हासिल कर ली। जो उसके कोई काम की नहीं आई। इस डिग्री के कारण वह सरकारी नौकरी से वंचित रह गया। इसके पीछे कारण शारीरिक शिक्षा विभाग ने बीपीएड और एमपीएड कोर्स को नेशनल शिक्षक पात्रता परिषद यानि एनसीटीई से मान्यता नहीं है। एनसीटीई से मान्यता नहीं होने के कारण एमडीयू की डिग्री की हरियाणा से बाहर कोई कीमत नहीं है। अब तीन वर्ष से एमडीयू में इस डिग्री की मान्यता को लेकर अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं। यह आरोप लगाए हैं एमडीयू से एमपीएड की डिग्री हासिल करने वाले छात्र मूर्ति राज शिवराव का।
ओड़िशा के छात्र मूर्ति राज शिवराव की जुबानी डिग्री की कहानी
मूल रूप से ओड़िशा के छात्र मूर्ति राज शिवराव ने दैनिक जागरण को बताया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। स्नातक करने के बाद उसने एक वर्ष तक प्राइवेट कंपनी में नौकरी की। इसके बाद में एमडीयू रोहतक के शारीरिक शिक्षा विभाग से बीपीएड के कोर्स में दाखिल लिया। उसने खेल उपलब्धियों को देखते हुए उसने एमडीयू को ही चुना। बीपीएड के बाद एमपीएड की पढ़ाई भी एमडीयू से में पूरी की। हॉस्टल में रहकर पढ़ाई की। इसके लिए कुछ कर्ज भी लेना पड़ा। डिग्री मिलने के बाद वह अपने घर लौट गया। ओड़िशा सरकार ने फिजिकल एजुकेशन टीचर यानि पीटीई के पदों के लिए भर्ती निकाली। उसने एमडीयू की डिग्री के आधार पर आवेदन किया तो मैरिट में स्थान मिल गया। जब उसकी डिग्री की जांच की तो एनसीटीइ की वेबसाइट पर एमडीयू का नाम नहीं था। जिसके कारण उसकी पात्रता को रिजेक्ट कर दिया। 
बहन की शादी टूट गई, मानसिक रूप से भी हुआ आहत
मूर्ति का कहना है कि उसकी चार बहन है। बड़ी बहन की शादी की बात चल रही थी, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह सिरे नहीं चढ़ सकी। उसकी नौकरी लगते-लगते रह गई। अन्य बहनों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है। एमडीयू से डिग्री हासिल करने के लिए करीब एक लाख रुपये का खर्च हुआ, जिसके कारण परिवार पर कर्ज भी हो गया है। लगातार एमडीयू में अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन न तो शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष फरियाद सुन रहे हैं और न कुलसचिव और कुलपति को पीड़ा दिखती है। तीन वर्ष से वह लगातार डिग्री की मान्यता को लेकर इधर-उधर धक्के खाने पर मजबूर है।
एनसीटीई से मान्यता होना अनिवार्य 
बीपीएड व एमपीएड कोर्स राष्ट्रीय शिक्षक पात्रता परिषद से मान्यता होना जरूरी है। अगर एनसीटीइ से मान्यता नहीं मिलती तो संबंधित विश्वविद्यालय या महाविद्यालय की डिग्री की अन्य राज्यों में कोई कीमत नहीं रहती। ए- ग्रेड महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक के शारीरिक शिक्षा विभाग के बीपीएड और एमपीएड कोर्स का एनसीटीइ से मान्यता नहीं मिलने से विवि की खास पर भी सवाल खड़े कर रहा है। बता दें कि बीपीएड कोर्स सेल्फ फाइनेंस स्कीम के तहत चल रहा है। हजारों रुपये की फीस देकर यहां विद्यार्थी डिग्री हासिल करने आ रहे हैं, लेकिन हरियाणा से बाहर डिग्री मान्य ही नहीं है। 
"पुराने विश्वविद्यालयों में चल रहे शारीरिक शिक्षा विभाग में कोर्स की मान्यता एनसीटीई से लेने की जरूरत नहीं है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने भी इसे जरूरी नहीं होने की बात कही थी। इसके बावजूद अगर जरूरत पड़ी तो एनसीटीई से मान्यता ली जाएगी। हालांकि पहले एनसीटीई में मान्यता को लेकर पत्रचार भी किया था। ओड़िशा के छात्र ने मुलाकात की थी, जिसको उचित आश्वासन दिया गया है।"-- प्रो. भगत सिंह राठी, अध्यक्ष, शारीरिक शिक्षा विभाग, एमडीयू 

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