कुरुक्षेत्र : राजकीय स्कूलों में पढऩे वाले पहली से आठवीं कक्षा तक के विद्यार्थियों के लिए प्रदेश सरकार ने यूनिक आईडी कोड बनाने की घोषणा के साथ ही शिक्षकों के पसीने भी छूटने लगे हैं। शिक्षकों में यह है चर्चा, आईडी कोड बनवाने पर कौन करेगा खर्चा। जिलेभर के 400 से अधिक राजकीय प्राथमिक स्कूलों में फंड के नाम पर एक पैसा भी नहीं है। जिसके चलते यूनिक आईडी कोड बनवाने पर कंप्यूटर ऑपरेटर को देने वाले 20 रुपए कहां से आएंगे, यह बड़ा सवाल सभी शिक्षकों के सामने है। भले ही आपको 20 रुपए की कीमत छोटी लगे लेकिन इन 400 राजकीय प्राथमिक स्कूलों में करीब 30 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं।
ऐसे में यह खर्च छह लाख रुपए बैठता है। शिक्षक इस पशोपेश में हैं कि यूनिक आईडी बनवाने के लिए होने वाले खर्च को कहां से निकालें? बच्चों से अगर पैसे मांगते हैं तो विभाग शिक्षकों पर तलवार लटका देगा और अगर अपनी जेब से देंगे तो उनकी जेब ढीली हो जाएगी।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यूनिक आईडी कोड की यह योजना किस तरह से आगे बढ़ती है।
योजना के लिए फंड दे सरकार :राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला प्रधान विनोद चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार ने यूनिक आईडी कोड की योजना तो बेहतर बनाई है लेकिन यह योजना तब तक कामयाब नहीं हो सकती जब तक सभी विद्यार्थियों के कोड न बनें। इसके लिए सबसे पहली जरूरत इस बात की है कि विद्यार्थियों के कोड बनाने के लिए या तो कंप्यूटर ऑपरेटर उपलब्ध करवाए जाएं या फिर फंड दिया जाए। विनोद चौहान ने कहा कि अगर शिक्षक विद्यार्थियों से 20-20 रुपए लेंगे तो विभाग उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा। जिसका कारण विभाग के स्पष्ट आदेश हैं, जिनमें कहा गया है कि विद्यार्थियों से किसी भी फंड के रूप में पैसे नहीं लिए जा सकते। राजकीय प्राथमिक स्कूलों में फंड नहीं है, ऐसे में शिक्षक कोड कैसे तैयार करवाएं, यह एक चुनौती है। वहीं राजकीय अध्यापक संघ 70 के प्रदेशाध्यक्ष जवाहरलाल गोयल व जिला महासचिव पवन मित्तल ने कहा कि योजना बनाते समय प्रदेश सरकार और विभाग को धरातल की सच्चाई को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए। ...db
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