भिवानी : भले ही सरकार प्रदेश में बच्चों को बेहतरीन शिक्षा दिलाने का ढिंढोरा पीट रही हो, लेकिन हकीकत कोसों परे है। सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर 8वीं तक की किताबें न पहुंचने के कारण प्रदेश में लाखों बच्चों के यूनिट टेस्ट भी नहीं हो पा रहे है। यह स्थिति मई माह से बनी है। जब यूनिट टेस्ट नहीं तो शिक्षक बच्चों की योज्यता व ज्ञान का स्तर कैसे मापेंगे। बच्चों का तो भविष्य बिगड़ रहा है औरं शिक्षक असहाय सी स्थिति में हैं।
राईट टू एजुकेशन लागू होने के बाद शिक्षा विभाग ने बच्चों के ज्ञान मापने के लिए हर स्कूल के पहली से लेकर 8वीं कक्षा तक के बच्चों के यूनिट टेस्ट लेने के आदेश दिए थे। विभागीय निर्देशों के अनुसार ये यूनिट टेस्ट प्रत्येक माह लिए जाने होते हैं, ताकि उनक ा ज्ञान समय-समय पर मापा जा सके। अगर किसी विषय में कोई कमजोरी रहती है तो विषय को ज्यादा पढ़ाया जा सके। विभाग ने यह भी निर्देश दे रखे हैं कि यूनिट टेस्टों के माध्यम से शिक्षक यह जानकारी लेंगे कि बच्चे को पाठ्यक्रम समझ में आ रहा है या नहीं। न समझ आने के क्या कारण है। सरकारी स्कूलों में पहली से लेकर 8वीं कक्षा तक की किताबें न पहुंचने के कारण बच्चे किस तरह से यूनिट टेस्ट की तैयारी करें और किस तरह से अध्यापक यूनिट टेस्ट कराने की रूपरेखा बनायें। ....dt
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