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Thursday, 26 December 2013

निजी स्कूल नहीं कर सकेंगे अभिभावकों को गुमराह

सोनीपत : निजी स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर मेधावी विद्यार्थियों को दाखिलों में परेशानी नहीं आएगी। स्कूल संचालक आरक्षित वर्ग के लिए निर्धारित सीटों को लेकर अभिभावकों को गलत जानकारी नहीं दे सकेंगे। 
शिक्षा निदेशालय की ओर से सभी स्कूलों की सीटों के रिकॉर्ड को ऑनलाइन किया जाएगा। निदेशालय ने योजना पर अमल के लिए अपनी प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके लिए जिला स्तर पर सभी स्कूलों की सीटों से संबंधित डाटा का संग्रह किया जा रहा है। अगले महीने यह रिकॉर्ड सभी के सामने आ जाएगा। 
सॉफ्टवेयर हुआ तैयार, डाटा फीड करने की तैयारी : 
विभागीय सूत्रों के मुताबिक शिक्षा निदेशालय ने अब प्राइवेट स्कूलों में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के कोटे को लेकर सख्ती कर दी है। शिक्षा निदेशालय महीने भर में अपनी वेबसाइट (डब्ल्यूडब्ल्यूडब्ल्यू डाट स्कूल एजुकेशन हरियाणा डाट जीओवी डाट इन) पर प्राइवेट स्कूल में आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों के कोटे को ऑनलाइन करने जा रहा है। इसके लिए सॉफ्टवेयर पूरी तरह से तैयार है। स्कूलों से संबंधित डाटा आते हुए उसे फीड किया जाएगा। इस कड़ी में निदेशालय की ओर से डीईओ को एक पखवाड़े में सभी प्राइवेट स्कूलों की स्टेटस रिपोर्ट सौंपने को कहा गया है। 
25 से 10 प्रतिशत हुआ कोटा : 
निजी स्कूलों को अब तक 25 प्रतिशत ऐसे बच्चों को एडमिशन देना होता था, जो कि आर्थिक रूप से कमजोर हैं और मेधावी है, लेकिन अब इस कोटे को 10 प्रतिशत कर दिया गया है। 
सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल जुटाएंगे डाटा
पूर्व में निजी स्कूल डाटा भेजने में आना-कानी कर रहे थे, लेकिन अब सरकारी स्कूलों के प्रिंसिपल इस कार्य को पूरा करवाएंगे। शिक्षा निदेशालय की ओर से जारी इस पत्र में साफ किया गया है कि प्रिंसिपल अपने पास के सभी प्राइवेट स्कूलों से मांगी गई जानकारी जुटाएं। इस मुहिम में प्रिंसिपलों का सहारा इसलिए लिया गया है क्योंकि खुद से प्राइवेट स्कूल इस जानकारी को देने के लिए सक्रिय रूप से आगे नहीं आ रहे थे। 
"शिक्षा निदेशालय की इस मुहिम से सभी को पता चल जाएगा कि किस स्कूल में इस कोटे के तहत कितनी सीटें भरी हैं और कितनी खाली हैं। स्कूलों को चाहिए कि वे इस विभागीय योजना में सहयोग करें।''--कुलदीप दहिया, बीईओ, सोनीपत। 
"शिक्षा विभाग की यह पहल अच्छी है। एसोसिएशन की ओर से तय किया गया है कि सभी संबंधित स्कूल शुरुआती कक्षा में यह आरक्षण देगी। हालांकि एसोसिएशन की मांग है कि प्रदेश सरकार उन्हें उच्चतम न्यायालय के निर्णय एवं केंद्र सरकार की आरटीई एक्ट की धारणा के अनुसार आरक्षित विद्यार्थी पर होने वाले खर्च को वहन करें।''--अजमेर सिंह, प्रधान, हरियाणा संयुक्त विद्यालय संघ, सोनीपत। 
पता चल जाएगा कितनी सीटें हैं खाली 
डीईओ कार्यालय से भी पता चलेगा सीटों की स्थिति : अगर किसी अभिभावक को वेबसाइट से कोई जानकारी ठीक से पता नहीं लगती है तो वह भविष्य में डीईओ कार्यालय पहुंचकर भी स्थिति स्पष्ट कर सकता है। निदेशालय की ओर से एक पत्र डीईओ कार्यालय में भी भेजा जाएगा। 
रिपोर्ट गलत देने पर कार्रवाई झेलने को तैयार रहें 
डीईओ के माध्यम से निदेशालय में जो रिपोर्ट भेजी जानी है, उसमें स्कूलों को पूरी जानकारी देनी है। जिसमें स्कूल में 10 प्रतिशत के हिसाब से कितनी सीटें आर्थिक रूप से कमजोर बच्चे के लिए हैं। इन पर अब तक कितने बच्चों को एडमिशन दिया गया है। जितनी सीटें खाली हैं, वे भी इस रिपोर्ट में शामिल की जाएंगी। अगर स्कूलों की ओर से दी गई रिपोर्ट में अनियमितता पाई गई तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।                     db 


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